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चिकित्सालय में लटका ताला, पशुओं के उपचार के लिए भटक रहे आम लोग

हिन्दुस्तान मेल, बहोरीबंद/बाकल
पशुओं में रोग नियंत्रण और दुर्घटनाग्रस्त आवारा पशुओं को सम्पूर्ण इलाज मुहैया हो सके इसी उद्देश्य से ग्रामीण इलाकों में भी शासकीय पशु चिकित्सालय की स्थापना कराई गई है। जिससे पशु पालक अपने पालतू पशुओं का संपूर्ण इलाज चिकित्सक की देखरेख में सुविधायुक्त ढंग से करा सकें। कटनी जिले बहोरीबंद जनपद के ग्राम बाकल में संचालित शासकीय पशु चिकित्सालय में पदस्थ डॉक्टर और कर्मचारियों की मनमानी जारी है। अधिकांशत: पशु चिकित्सालय बंद रहता है और अस्पताल में अक्सर ताला ही लटकता नजर आता है।
ताजी घटना जो सामने आई है वह यह है कि एक बछड़े पर कुछ आवारा कुत्तों ने हमला बोल दिया। गनीमत रही कि एक राहगीर ने बछड़े को देख लिया। इसके बाद स्थानीय निवासियों ने पशु चिकित्सालय में फोन लगाया, किंतु कोई संतोषजनक जवाब नहीं मिला। गोरक्षा वालंटियर विवेक पटेल ने टोल फ्री नंबर 1962 पर सहायता मांगी, लेकिन वहां से पशु चिकित्सालय का हवाला दिया गया। कुछ देर बाद पशु चिकित्सालय में पदस्थ कर्मचारी पहुंचे। करीब 20 मिनट के भीतर ही बछड़े की मौत हो गई। पशु चिकित्सालय में पदस्थ पशु चिकित्सक से पक्ष जानने हेतु संपर्क साधा गया तो उन्होंने कहा कि मैं मंगलवार और गुरुवार के दिन अस्पताल में बैठता हूं, जबकि बीते दिन मंगलवार को भी पूरे दिन अस्पताल में ताला जड़ा रहा।
इनका कहना है…
मेरे घर के पास कुत्तों ने एक बछड़े को घायल कर दिया था, एक भैया ने उसको बचाकर पेड़ की छांव में छोड़ दिया था, बछड़ा तड़प रहा था, डॉक्टर आरपी खरे को व्यक्तिगत रूप से कॉल किया, पर उन्होंने सही प्रतिक्रिया नहीं दी। 1962 पर कॉल किया, उन्होंने भी आने से इंकार कर दिया। कुछ देर बाद आरपी खरे के साथ कोई पहुंचा था उनके इलाज के बाद करीब 20 मिनट के भीतर बछड़े की मौत हो गई।
ल्ल प्रशंसा राय, स्थानीय निवासी
हमारे यहां एक कर्मचारी रिटायर हो गया है, हमारे सहायक स्टाफ के पास बाकल और कूंडा का प्रभार भी है। मुझे भी बाकल के साथ रीठी का अतिरिक्त प्रभार के चलते दो जगह जाना पड़ता है। मैं बाकल अस्पताल में मंगलवार और गुरुवार के दिन बैठता हूं।
ल्ल जय कुमार केवट, पशु चिकित्सक

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