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इंदौर

फैजल को तिरंगे को 21 बार करना होगा सेल्यूटपाकिस्तान के समर्थन में नारे लगाने वाले आरोपी अब सीख जाएगा देशभक्ति

21 मंगलवार तक इन शर्तों का करना होगा पालन
फैजल ने अपने किए पर पछताने का इजहार किया….

पाकिस्तान के समर्थन में नारा लगाने का आरोपी फैजल उर्फ फैजान खान मप्र हाईकोर्ट के आदेश पर जमानत के बाद जेल से बाहर आ गया है। गुरुवार सुबह उसने भोपाल के मिसरोद थाने पहुंचकर अपनी उपस्थिति दर्ज कराई। उसने पुलिस से कहा कि वह अपने किए पर बेहद पछता रहा है।
थाना पुलिस को बताया कि हाई कोर्ट के आदेश के पालन में वह हर महीने के पहले और चौथे मंगलवार को सुबह 10 बजे से दोपहर 12 बजे के बीच थाने में पहुंचकर भारत माता की जय बोलेगा। इस दौरान थाने में लगे तिरंगे को 21 बार सलामी देगा। वह इसकी शुरुआत इसी महीने के अंतिम मंगलवार से करेगा। इसी शर्त के साथ हाई कोर्ट ने रायसेन जिले का मंडीदीप निवासी आरोपी फैजल उर्फ फैजान को जमानत दी थी। बता दें कि पंचर जोड़ने का काम करने वाले फैजल पर आरोप है कि उसने भोपाल के मिसरोद थाना क्षेत्र में 17 मई 2024 को पाकिस्तान के समर्थन और भारत के विरोध में नारे लगाए। इसका वीडियो इंटरनेट मीडिया पर वायरल होने के बाद हिंदूवादी संगठन के पदाधिकारियों ने उसकी दुकान पर पहुंचकर मारपीट की।
पुलिस ने धारा 153 बी (राष्ट्रीय एकता के खिलाफ बोलने) के तहत एफआइआर दर्ज कर गिरफ्तार कर लिया। इसके बाद से वह जेल में ही बंद था। स्थानीय अदालत से जमानत याचिका निरस्त किए जाने के बाद उसने मप्र प्रदेश हाईकोर्ट में जमानत याचिका दायर की थी। बुधवार को सुनवाई में हाई कोर्ट ने उसे विशिष्ट शर्त के साथ जमानत दी है। आरोपी को प्रत्येक माह के पहले और चौथे मंगलवार को थाने में सुबह 10 से 12 बजे के बीच उपस्थिति दर्ज कराकर भारत माता की जय बोलते हुए तिरंगे को 21 बार सलामी देनी होगी। उसको ऐसा 21 मंगलवार तक करना होगा।
हाईकोर्ट के आदेश का कराएंगे पालन
मिसरोद थाना प्रभारी मनीष भदौरिया ने बताया कि आरोपी से हाईकोर्ट के आदेश के पालन की शुरूआत इसी माह के चौथे मंगलवार से की कराई जाएगी।

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140 करोड़ के अवैध खनन मामले में पेश नहीं हुए शुक्ला, मिली तारीख

पूर्व विधायक व भाजपा नेता संजय शुक्ला के परिवार पर खनिज विभाग द्वारा लगाए गए 140 करोड़ रुपए के जुमार्ने में एक माह बीत चुका है। गुरुवार को अपर कलेक्टर कोर्ट में पेशी थी, जिस पर शुक्ला सहित अन्य को जवाब पेश करना था, लेकिन कोई नहीं आया। अब आगे की तारीख तय होगी। संजय शुक्ला, उनके भाई राजेंद्र शुक्ला सहित दो अन्य को प्रशासन ने अवैध खनन के मामले में 140 करोड़ 63 लाख का नोटिस जारी किया था।
बारौली में 4 लाख घनमीटर से ज्यादा मुरम और 2 लाख घनमीटर से ज्यादा पत्थर अवैध तरीके से निकाला था। रॉयल्टी सहित अन्य मिलाकर विभाग ने इतनी बड़ी राशि का नोटिस जारी किया था। पहली पेशी 19 अप्रैल को थी। संबंधित पक्ष ने दस्तावेज की डिमांड की, जिसके आधार पर केस बनाया गया था। फिर 16 मई की तारीख लगी, जब शुक्ला बंधुओं सहित अन्य को जवाब पेश करना था। अपर कलेक्टर गौरव बैनल ने बताया शुक्ला के वकील नहीं आए। अब अगली तारीख पर उन्हें पेश होने के लिए कहा है। केस में संजय शुक्ला, राजेंद्र शुक्ला के अलावा ईडन गार्डन गृह निर्माण संस्था, नीलेश पंसारी, मेहरबान राजपूत व अन्य को पार्टी बनाया है।

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रिमूवल गैंग नहीं पहनेगी सेना जैसी वर्दी…

रिमूवल गैंग को सेना जैसी वर्दी पहनाने का नगर निगम का बचकाना फैसला 24 घंटे भी चल नहीं सका। जनता के भारी विरोध और अपनी किरकिरी होती देख नगर निगम ने गुरुवार शाम यू-टर्न लिया। निगम आयुक्त शिवम वर्मा ने कहा कि वर्दी से सैनिकों की भावना आहत होती है। इसलिए इसमें जरूरी बदलाव किया जाएगा। सेना की वर्दी लागू करते हुए महापौर पुष्य मित्र भार्गव और निगमायुक्त ने तर्क दिया था कि इससे अनुशासन आएगा और अतिक्रमण की कार्रवाई के दौरान होने वाले विवादों से बचा जा सकेगा। कुल 600 रिमूवल कर्मचारियों को नई वर्दी पहना दी गई थी। हालांकि महापौर और निगमायुक्त के यह तर्क काम नहीं कर सके और उन्हें यह फैसला वापस लेना पड़ा। निगम के इस कदम पर कानूनी प्रश्न भी उठने लगे।
वहीं निगम के नेता प्रतिपक्ष चिंटू चौकसे ने निगमायुक्त से 600 वर्दी पर खर्च की गई राशि वसूलने की मांग की है। नेता प्रतिपक्ष की मांग उचित ही लगती है क्योंकि निगम अधिकारियों ने बगैर विचार किए इस प्रकार का फैसला ले लिया और जनता का पैसा खर्च कर दिया। अब इसकी वसूली जिम्मेदार अधिकारियों से ही की जानी चाहिए।

नेता प्रतिपक्ष का कहना है कि करीब दो हजार रुपए प्रति वर्दी खर्च किए गए। बिना सुझाव-सहमति और तार्किक ज्ञान का प्रयोग किए तुरत-फुरत वर्दी सिलवाकर पहना भी दी गई। 24 घंटे के इस दिखावे पर 12 लाख रुपए खर्च किए गए। पहले से निगम की माली हालत ठीक नहीं है, उस पर नागरिकों के टैक्स का पैसा यूं बर्बाद नहीं किया जा सकता। वर्दी पर हुए खर्च को नगर निगम आयुक्त के वेतन से वसूला जाना चाहिए।
वसूली और बदतमीजी के लिए बदनाम है निगम की गैंग : सेना की वर्दी में जब निगम की रिमूवल गैंग दिखाई दी तो सबसे पहले शहर के नागरिकों ने इसका विरोध इंटरनेट मीडिया पर शुरू किया। कहा गया कि वसूली और बदतमीजी के लिए बदनाम निगम की गैंग के सदस्यों को सैनिकों की वर्दी देना सेना के अपमान जैसा है। इस वर्दी को पहनने के बाद इस गैंग की बदतमीजी और बढ़ जाएगी।

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खंगाले जा रहे है 2010 से लेकरअब तक के भुगतान रिकॉर्ड….

नगर निगम में हुए सवा सौ करोड़ के फर्जी बील घोटाले की जांच के लिए उच्च स्तरीय जांच समिति के सदस्य भोपाल से इंदौर आकर साल 2010 से लेकर अब तक हुए भुगतान के रिकॉर्ड खंगाल रहे है। गुरुवार को उच्च स्तरीय जांच समिति के सदस्य नगर निगम मुख्यालय पहुंचे। निगमायुक्त शिवम वर्मा के कक्ष में जांच समिति के सदस्यों ने फाइल बनाने, बिल लगाने से लेकर भुगतान तक की प्रक्रिया समझी। मौके पर अधिकारियों के साथ निगम के खाते संभालने वाले बैंक के अधिकारियों को भी बुला लिया। बाद में आयुक्त को दस्तावेजों की सूची वाट्सएप पर दी और सभी कागज उपलब्ध करवाने के निर्देश दे दिए। उच्च स्तरीय समिति की अध्यक्षता प्रमुख सचिव वाणिज्य कर अमित राठौर कर रहे हैं। जांच समिति में सदस्य के रूप में सचिव वित्त अजीत कुमार और लोक निर्माण विभाग के मुख्य अभियंता भी शामिल हैं। इस दौरान कलेक्टर आशीष सिंह, निगम कमिश्नर शिवम वर्मा, एडिशनल कमिश्नर सिद्धार्थ जैन सहित अन्य अधिकारी मौजूद रहे।
बैंक मैनेजर से मांगे
लेन-देने के रिकॉर्ड
जांच समिति के अधिकारियों ने मौके पर स्टेट बैंक आफ इंडिया नगर निगम शाखा के बैंक मैनेजर को भी बुलाया। बैंक मैनेजर से 2010 से अब तक के संपूर्ण लेन-देन व भुगतान का रिकॉर्ड देने के लिए कहा है। यह वह भुगतान है जो ठेकेदारों को किया गया है। निगम के जिम्मेदार अधिकारियों से कहा कि 2020 से अब तक निगम में कितने ठेकेदार फर्म काम कर रही है उनकी सूची, पंजीयन आदि का रिकार्ड भी उपलब्ध करवाया जाए। इसी सूची के आधार पर आगे जांच और कार्रवाई की दिशा तय होगी।ऋ

सूची वाट्सएप की है…दस्तावेज भोपाल भेजे
निगम मुख्यालय पहुंचते ही जांच समिति ने आयुक्त शिवम वर्मा से कहा कि आपको एक सूची वाट्सएप की है। ये सारे दस्तावेज इकट्ठे करके जल्द से जल्द उपलब्ध कराएं। मौके पर ही निगम के लेखा अधिकारी देवधर दरवाई को भी तलब किया। उन्हें भी दस्तावेजों की एक सूची सौंपी और सब उपलब्ध करवाने के लिए कहा गया। बैंक अधिकारियों से लेकर आडिट के अमले को बुलाकर जानकारी ली गई।

घोटाले में निजी कंपनी के तीन प्रोपराइटरों पर केस दर्ज किया गया है। एमजी रोड थाना प्रभारी विजय सिसोदिया के मुताबिक कॉस्मो इंजीनियर प्रोपराइटर एहतेशाम खान बिल्किस निवासी मानिक बाग रोड, डायमंड एसोसिएट्स के प्रोपराइटर जाहिद खान निवासी सकीना अपार्टमेंट अशोक कॉलोनी, आईएस इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोपराइटर राजेंद्र शर्मा बल्दा कॉलोनी के रहने वाले तीन निगम ठेकेदारों के जांच के बाद में 420 सहित अन्य धाराओं में प्रकरण दर्ज किया गया है। बताया जा रहा है कि तीनों ही कंपनियों के संचालकों द्वारा पे आॅर्डर की फाइल को फर्जी तरीके से तैयार किया गया और फिर नगर निगम के आॅडिट विभाग में प्रस्तुत किया गया था। जिसके बाद लाखों रुपए का लाभ लिया गया। जांच पड़ताल में दस्तावेजों के आधार पर नाम सामने आने के बाद में प्रकरण दर्ज किया गया है फिलहाल कितना रुपया इनके माध्यम से लिया गया है इसकी जांच पड़ताल की जा रही है। इस पूरे मामले में अब तक 10 आरोपियों को गिरफ्तार किया जा चुका है जबकि दो आरोपी फरार हैं। छठे प्रकरण के तीनों आरोपियों की तलाश जारी है।
मामले में अब तक 8 फर्मों द्वारा फजीर्वाड़ा किए जाने की बात सामने आई है। इन पर पुलिस ने एफआईआर दर्ज की है। वहीं आठ फर्मों की जांच जारी है। अगले एक-दो दिन में इन पर भी एफआइआर हो सकती है।

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राठौर कल तक पुलिस रिमांड पर सस्पेंड अधिकारी भी बनेंगे आरोपी

नगर निगम में हुए करोड़ों के फर्जी बील घोटाले में एमजी रोड पुलिस ने गिरफ्तार आरोपी अभय राठौर और मोहम्मद सिद्धिक को बुधवार को कोर्ट में पेश कर पुलिस रिमांड मांगा था । कोर्ट ने दोनों आरोपियों का 17 मई तक का रिमांड स्वीकृत किया है।
पुलिस के अनुसार आरोपी राठौर ने घोटाले का अधिकांश पैसा जमीन व प्रॉपर्टी में लगाया है। इन सभी की तस्दीक के लिए टीमें जांच कर रही हैं। वहीं घोटाले में शासन की ओर से सस्पेंड किए गए लोकल आॅडिट फंड विभाग में पदस्थ चारों अधिकारी की भूमिका भी जांच रहे हैं। यदि इनके खिलाफ साक्ष्य मिले तो उन्हें भी आरोपी बनाया जाएगा।
वहीं नगर निगम के फर्जी बिल घोटाले में अब निगम के भ्रष्ट बेलदार असलम के रिश्तेदारों की लिंक भी जुड़ी मिली है। घोटाले में बुधवार को दो नई फर्म के नाम सामने आए। इन फर्म ने भी इसी तरह ड्रेनेज के कामों के एवज में करोड़ों का भुगतान ले लिया। जांच में शंका होने पर 39 फाइलों को ड्रेनेज शाखा को भेजा गया है। इन फाइलों पर 3 करोड़ रुपए भुगतान लिए जाने की बात कही जा रही है।

प्रारंभिक रूप से जानकारी सामने आई है कि इनमें भी फर्जी वर्क आॅर्डर नंबर और आवक जावक नंबर इस्तेमाल किए गए हैं। यह दोनों फर्म आय से अधिक संपत्ति के मामले में निलंबित रह चुके बेलदार असलम के रिश्तेदारों की है।
पुष्टि करते हुए निगम के अधिकारियों ने बताया कि दो फर्म डायमंड एसोसिएट और कॉस्मो इंजीनियरिंग की फाइलें जांच के लिए ड्रेनेज विभाग को दी गई हैं। इनके प्रोपराइटर ऐतहाशमास खान और जाहिद खान हैं। दोनों ही फर्म के एड्रेस माणिक बाग में अशोका कॉलोनी के हैं। इसके पहले ईश्वर और क्रिस्टल फर्म का नाम सामने आ चुका है।
इसमें से क्रिस्टल का संचालक इमरान खान है। वह भी असलम का ही रिश्तेदार बताया जा रहा है। असलम निगम में नक्शा विभाग में रहा और वहां नक्शा पास करवाने और उसके एवज में पैसा लेने के मामले में उस पर ईडी की कार्रवाई हो चुकी है। असलम की संपत्तियों को अटैच भी किया गया।

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