महापौर और निगमायुक्त का अजीब तर्क- ड्रेस अनुशासन के लिए जरूरी, कार्रवाई के दौरान विवाद की स्थिति नहीं बनेगी
इंदौर नगर निगम की रिमूवल गैंग को सेना जैसी वर्दी पहनाने पर बवाल खड़ा हो गया है, राजनीति भी शुरू हो गई है। निगम नेता प्रतिपक्ष व कांग्रेस ने विरोध दर्ज करवाते हुए इसे सेना का अपमान बताया है। वहीं महापौर व निगमायुक्त ने बचाव करते हुए दलील दी है कि रिमूवल गैंग को दी गई विशेष प्रकार की ड्रेस अनुशासन के लिए जरूरी है। इससे कार्रवाई के दौरान विवाद की स्थिति नहीं बनेगी।
नगर निगम में फर्जी बिल घोटाले का मामला पहले से ही गरमाया हुआ था इसी बीच निगम की रिमूवल गैंग को सेना जैसी वर्दी पहनाने को लेकर खासा विवाद शुरू हो गया है।
नेता प्रतिपक्ष चिंटू चौकसे ने कहा कि नगर निगम के रिमूवल गैंग के कर्मचारियों को मिलिट्री जैसी ड्रेस पहनाना मिलिट्री और देश का अपमान है। उन्होंने आगे कहा इस समय नगर निगम में मनमानी का आलम है इसी के तहत इस तरह के फैसले लिए जा रहे हैं। इस फैसले को तत्काल वापस लिया जाना चाहिए।
जो ड्रेस रिमूवल गैंग के कर्मचारियों के लिए तय की गई है उस ड्रेस को पहनकर मिलिट्री के जवान देश की रक्षा करते हैं, उसका काफी सम्मान है। इस तरह की वर्दी किसी को भी पहनना आर्मी एक्ट के तहत अपराध है। इसके साथ ही आईपीसी की धारा 140 और 171 के तहत भी यह अपराध है।
दूसरी तरफ महापौर पुष्यमित्र भार्गव ने ड्रेस कोड के फैसले को सही ठहराया है। उन्होंने कहा कि रिमूवल गैंग को दी गई विशेष प्रकार की ड्रेस अनुशासन के लिए किया गया अच्छा प्रयास है। काम के दौरान अनुशासन रहे, एकरूपता दिखाई दे और किसी प्रकार का विवाद ना हो इसके लिए यह कदम उठाया गया है। हम वर्दी पर रिमूवल गैंग की पट्टिका लगा रहे हैं। इस कलर की वर्दी पहनने की कोई मनाही नहीं है यदि सेना की वर्दी कोई और पहने सेना के स्टार कोई और लगाए तो वह अपराध है। रही बात कांग्रेस कि तो वो निगम कर्मचारियों को पीली गैंग कहती है। निगमायुक्त शिवम वर्मा ने कहा कि अतिक्रमण की कार्रवाई व यातायात सुधार के दौरान कई बार विवाद की स्थिति बन जाती है। ड्रेस कोड से इससे बचा जा सकेगा। हालांकि उन्होंने इस पर दोबारा विचार करने की बात भी कही है।