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‘चाचा क्रिकेट’ को नहीं मिला भारत का वीजा, वर्ल्ड कप देखने घर बेचा

भारत और पाकिस्तान के क्रिकेट फैन दुनिया के हर कोने में मिल जाते हैं, लेकिन ‘चाचा क्रिकेट’ जैसा यूनिक फैन आपने कम ही देखा होगा। 70 साल की उम्र पूरी कर चुके चौधरी अब्दुल जलील पाकिस्तान क्रिकेट टीम को सपोर्ट करने दुनिया के हर कोने में पहुंचते हैं।
उन्होंने अलग-अलग देशों की तीन पीढ़ियों को खेलते हुए देखा है। चाचा क्रिकेट का दावा है कि उन्होंने स्टेडियम में 500 से अधिक इंटरनेशनल मैच देखे हैं।
बहरहाल, अब जबकि इस बार भारत वर्ल्ड कप की मेजबानी कर रहा है, तो चाचा क्रिकेट सुर्खियों में हैं। इस मौके पर चाचा क्रिकेट की जिंदगी और उनके इस खेल के लिए जुनून से जुड़े सवालों के जवाब यहां उन्हीं से जानते हैं…
हालातों के कारण पढ़ाई छोड़ी
‘चाचा क्रिकेट’ के नाम से मशहूर चौधरी अब्दुल जलील कहते हैं- मेरा जन्म 8 अक्टूबर 1949 को सियालकोट में हुआ। मैट्रिक तक पढ़ाई की, लेकिन इसके बाद हालात की वजह से पढ़ाई छोड़ दी। परिवार में पत्नी और तीन बच्चे हैं।
भारत आने पर असमंजस
क्रिकेट वर्ल्ड कप देखने के लिए भारत आने के सवाल पर यह बुजुर्ग क्रिकेट फैन कहता है- 10 दिन पहले मैं अमेरिका में था। यहां अगले साल होने वाले टी-20 वर्ल्ड कप का एक प्रोग्राम था। मुझे भी बुलाया गया था। इस कार्यक्रम के बाद मुझे उम्मीद थी कि इस बार भारत में होने वाले विश्व कप के लिए मुझे भी वहां जाने का मौका मिलेगा। पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड और इउउक से गुजारिश की। हालांकि, अभी तक भारत का वीजा नहीं मिला। शायद एक-दो दिन में अच्छी खबर मिले। जलील 2005 में पहली बार मैच देखने भारत आए थे। वो कहते हैं- मैं भारत समेत कई देशों में जा चुका हूं। इस बार अब तक वीजा के बारे में कोई जानकारी नहीं मिल सकी है। अगर मुझे भारत आने और मैच देखने का मौका मिला तो मैं इसकी शुरुआत अहमदाबाद में भारत-पाकिस्तान मैच से करूंगा। वीजा नहीं मिला तो घर में टीवी पर मैच देखूंगा। पाकिस्तान टीम इस बार बाहर हो गई, तो भारतीय टीम का समर्थन करूंगा।
क्रिकेट का किस्मत कनेक्शन
चाचा क्रिकेट बचपन की यादें ताजा करते हुए कहते हैं- शुरू से ही क्रिकेट का बहुत शौक था। मैट्रिक में तीन बार फेल भी हो गया। सियालकोट में स्पोर्ट्स एसेसरीज बनाने वाली कंपनी में भी काम किया है। हमारे पास कुछ पुरानी प्रॉपर्टीज थीं। इनके किराए से परिवार का खर्च चलता था। पांच साल एक क्रिकेट क्लब में भी रहा। यहां पाकिस्तान के कई इंटरनेशनल स्टार्स के साथ खेलने का मौका मिला। 1968 में मैंने पाकिस्तान की पहली सीमेंट पिच तैयार करवाई थी। तब लोग दूर-दूर से इसे देखने आए थे।
19 साल बाद पहली बार लाहौर के स्टेडियम में मैच देखा
चौधरी अब्दुल जलील आगे कहते हैं- मैंने पहली बार 19 साल की उम्र में 1969 में लाहौर स्टेडियम में एक अंतरराष्ट्रीय मैच देखा था। 1973 में पाकिस्तान छोड़कर अमेरिका या डेनमार्क में बसने का प्लान बनाया था।

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