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China: यात्री ने गुड-लक के लिए हवाई जहाज के इंजन में फेंका सिक्का, चार घंटे के लिए रोकनी पड़ी उड़ान

चीनी मीडिया के अनुसार, लंबे इंतजार के बाद देरी की वजह सामने आई। इस घटना से जुड़े एक वीडियो के अनुसार, हवाई जहाज के इंजन में सिक्का फेंकने वाले यात्री से फ्लाइट अटेंडेंट को पूछताछ करते हुए देखा गया।

सान्या से बीजिंग के लिए चाइना सदर्न एयरलाइंस की उड़ान छह मार्च को यात्रियों के लिए निराशाजनक साबित हुई। दरअसल, चाइना सदर्न एयरलाइंस सुबह के 10 बजे उड़ान भरने वाला था, लेकिन एक असामान्य घटना के कारण यात्रियों को चार घंटे तक इंतजार करना पड़ा। एक यात्री ने हवाई जहाज के इंजन में ही सिक्का फेंक दिया था। 

तीन साल पहले भी हो चुकी है ऐसी घटना
चीन में 2021 में इसी तरह की एक घटना के कारण उड़ान को रद्द कर दिया गया था। इस उड़ान में करीब 148 यात्री शामिल थे, जो विफेंग से हाईकू जा रहे थे। उड़ान भरने से पहले वैंग नाम के एक यात्री ने एक लाल कागज में सिक्का को लपेटकर हवाई जहाज के इंजन में फेंक दिया था। उड़ान भरने से ठीक पहले ही एयरपोर्ट कार्यकर्ताओं ने रनवे पर ही कुछ सिक्के देख लिए थे, जिसके बाद उन्होंने केबिन क्रू को इसकी जानकारी दी। इस घटना के कारण उड़ान को रद्द करने का आदेश दिया गया था। 

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अमेरिका में भारतीय छात्र पर हमला, मोबाइल भी छीना

अमेरिका के शिकागो में एक भारतीय छात्र पर हमला हुआ। घटना 4 फरवरी की बताई जा रही है। घटना का एक वीडियो सामने आया है। इसमें 3 हमलावर छात्र का पीछा करते नजर आ रहे हैं। इसके बाद तीनों उसे बुरी तरह पीटते हैं, फोन छीनते हैं और भाग जाते हैं। छात्र खून से लथपथ नजर आ रहा है।
छात्र का नाम सैयद मजाहिर अली है। वह हैदराबाद का रहने वाला है और मास्टर्स की डिग्री के लिए अमेरिका गया है। इधर, छात्र की पत्नी ने विदेशमंत्री एस. जयशंकर को पत्र लिखकर उसे बेस्ट मेडिकल ट्रीटमेंट देने और तीन बच्चों के साथ अमेरिका भेजने की व्यवस्था करने की मांग की है।
वीडियो में छात्र बोला- प्लीज हेल्प मी- मारपीट के बाद के इस वीडियो में छात्र मदद मांगता दिखा। उसने कहा- प्लीज हेल्प मी। वीडियो सामने आने के बाद मजाहिर की पत्नी सैयदा रुकुलिया फातिमा रिजवी ने विदेश मंत्री एस. जयशंकर को लेटर लिखा। इसमें कहा- मैं शिकागो में अपने पति की सुरक्षा को लेकर बहुत चिंतित हूं। मेरा आपसे अनुरोध है कि आप उनकी मदद करें, जिससे उन्हें बेस्ट मेडिकल ट्रीटमेंट मिल सके। मैं अपने पति के साथ रहने के लिए तीनों नाबालिग बच्चों के साथ अमेरिका जाना चाहती हूं। हो सके तो इसके लिए जरूरी व्यवस्था कराई जाए। घटना के बाद कुछ लोग छात्र की मदद के लिए आए। मजाहिर ने उनसे कहा- मैं घर से खाना लेने के लिए निकला था। मैंने खाने का सामान खरीदा और वापस घर जाने लगा, तभी तीन लोग आए और मेरा पीछा करने लगे। उन्होंने मुझ पर हमला कर दिया। भीड़ जमा होने लगी तो मेरा फोन छीनकर भाग गए। जनवरी-2024 से अब तक अमेरिका में चार भारतीय छात्र- श्रेयस रेड्डी, नील आचार्य, विवेक सैनी और अकुल धवन मारे जा चुके हैं।

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कर्मचारियों से इस्तीफा मांगने का चीनी कंपनी का अजीब तरीका

पहाड़ों पर शिफ्ट किया आॅफिस, जहां टॉयलेट-ट्रांसपोर्ट सुविधा भी नहीं………

बीजिंग, एजेंसी। चीन की एक एडवर्टाइजिंग कंपनी ने अपना आॅफिस पहाड़ पर शिफ्ट कर दिया। इसके बाद कंपनी के करीब 70% कर्मचारियों ने इस्तीफा दे दिया। कर्मचारियों ने आरोप लगाया है कि कंपनी ने कर्मचारियों को दिए जाने वाले मुआवजे से बचने के लिए आॅफिस पहाड़ पर शिफ्ट किया।
दरअसल, यह पहाड़ शहर से इतना दूर है कि यहां आने-जाने के लिए ट्रांसपोर्ट नहीं मिलता। आॅफिस में भी कर्मचारियों के लिए बेसिक फैसिलिटी नहीं है। महिला कर्मचारियों को पास के गांव में बने पब्लिक टॉयलेट का इस्तेमाल करना पड़ता है। साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट की रिपोर्ट के मुताबिक कपंनी अगर कर्मचारियों को नौकरी से निकालती तो उसे इन्हें मुआवजा देना पड़ता। इससे बचने के लिए कंपनी ने आॅफिस पर शिफ्ट कर लिया। कंपनी जानती थी कि आॅफिस आने में कर्मचारियों को दिक्कत होगी और वो इस्तीफा दे देंगे। चीन की एक एडवर्टाइजिंग कंपनी का आॅफिस शीयान शहर में था। यहां से आॅफिस को क्विनलिंग पहाड़ पर शिफ्ट कर दिया गया। शीयान से क्विनलिंग पहाड़ करीब 120 किलोमीटर दूर है। चीन की एक एडवर्टाइजिंग कंपनी का आॅफिस शीयान शहर में था। यहां से आॅफिस को क्विनलिंग पहाड़ पर शिफ्ट कर दिया गया। शीयान से क्विनलिंग पहाड़ करीब 120 किलोमीटर दूर है।

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चीन की गोद में बैठे मालदीव से विवाद बहुत पुराना है

भारत-मालदीव के बीच बिगड़ते राजनयिक रिश्तों के बीच अब दोनों देशों के बीच पुराने मैत्रीपूर्ण रिश्तों की पड़ताल होने लगी है, जो मुइज्जू के शासन से छह दशक पुराना है। 1965 में जब मालदीव को अंग्रेजी उपनिवेश से आजादी मिली तो भारत ऐसा पहला देश था, जिसने उसे एक स्वतंत्र देश का दर्जा दिया था। 1980 में भारत ने वहां अपना दूतावास खोला। भारत के इस कदम के करीब 30 साल बाद चीन ने 2011 में मालदीव में अपने राजनयिक केंद्र की स्थापना की, लेकिन जैसे ही चीन ने मालदीव से दोस्ती की, मालदीव और भारत के रिश्ते बिगड़ने लगे।
प्रो-इंडिया से प्रो-चाइना हुआ मालदीव- नवंबर-2013 में अब्दुल्ला यामीन मालदीव के नए राष्ट्रपति बने। यामीन का झुकाव चीन की तरफ था। उनकी सरकार में चीन की कूटनीति खूब फली। उनके ही शासनकाल में माले ने बीजिंग के साथ मुक्त व्यापार समझौते पर हस्ताक्षर किया और बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव में शामिल हो गया। इस समझौते ने चीन को मालदीव के द्वीपों को पट्टे पर देने और देश में बीजिंग को आर्थिक और कूटनीतिक रूप से सक्रिय भूमिका निभाने की अनुमति दे दी। इस मौके का फायदा उठाते हुए चीन ने माले में बेतहाशा पैसे खर्च किए और मालदीव पर विकास के नाम पर भारी-भरकम कर्ज लाद दिया। आंकड़ों पर गौर करें तो अंगोला और जिबूती के बाद मालदीव चीन का तीसरा सबसे बड़ा कर्जदार है। इस छोटे से द्वीपीय देश पर चीन की इतनी राशि बकाया है, जो उसकी जीडीपी का लगभग 30 प्रतिशत के बराबर है। अधिकांश यामीन प्रशासन के दौरान का कर्ज है, जब चीन के इशारे पर यामीन सरकार नाच रही थी।
मालदीव में इमरजेंसी- अर्थशास्त्री कहे जाने वाले राष्ट्रपति यामीन के फैसलों से मालदीव में भारी विरोध होना शुरू हो गया। विपक्षी दलों ने वहां खूब हंगामा किया और चीन से प्रेरित नीति को खारिज करने की मांग की। जब यामीन सरकार ने ऐसा करने से इनकार कर दिया तो लोग सड़कों पर उतर आए। इससे बौखलाए अब्दुल्ला यामीन ने राजनीतिक विरोधियों को जेल में डाल दिया। जब फरवरी में सुप्रीम कोर्ट ने जेल में बंद नेताओं को रिहा करने का आदेश दिया तो फैसला सुनाने वाले जज को भी जेल में डाल दिया गया और देश में इमरजेंसी की घोषणा कर दी गई।

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साउथ कोरिया में 110 साल बाद डॉग मीट पर बैन

सिओल, एजेंसी। साउथ कोरिया में डॉग मीट पर बैन से जुड़ा कानून पास हो गया है। मंगलवार को संसद में इस कानून के पक्ष में 208 सांसदों ने वोटिंग की। विरोध में कोई वोट नहीं आया। कानून में कई धाराएं हैं। इनको धीरे-धीरे लागू किया जाएगा और पूरी तरह ये कानून 2027 में अमल में लाया जाएगा। एक रिपोर्ट के मुताबिक- साउथ कोरिया में डॉग मीट खाने की परंपरा करीब 110 साल पुरानी है। कई बार इस पर बैन की मांग और कोशिशें हुईं। हालांकि, कुछ ट्रेडर्स और कुछ इसके शौकीनों के चलते ये कोशिशें कामयाब नहीं हो सकीं।

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