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खाने में थूकने पर एक लाख जुर्माना, तीन साल तक की हो सकती है जेल

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्करसिंह धामी ने खाद्य पदार्थों पर थूकने के मामले में सख्त कदम उठाया है। सरकार ने ऐसी घटनाओं को ह्यळँङ्मङ्म‘ ख्रँंह्णि का नाम देते हुए आरोपी के खिलाफ 25000 से 100000 लाख रुपर तक के जुर्माना और 3 साल तक की सजा की गाइडलाइन जारी की है। सभी पुलिस स्टेशन पर इस संबंध में कार्रवाई के लिए निर्देश जारी कर दिए हें।
बता दें… हाल ही में उत्तराखंड समेत देश के कई राज्यों से खाने-पीने के सामान में थूकने और पेशाब करने के मामले सामने आए थे। इंटरनेट पर ऐसी वीडियो आए दिन वायरल होती रही। यूपी सरकार ने मंगलवार को ही इस मामले में सख्त कानून बनाने का ऐलान किया है। इसके बाद उत्तराखंड सरकार ने सख्त फैसला लिया। मुख्यमंत्री पुष्करसिंह धामी व स्वास्थ्य मंत्री डॉ. धनसिंह रावत के निर्देशानुसार खाद्य संरक्षा विभाग ने इसे लेकर विस्तृत गाइडलाइन जारी कर दी है।

पुलिस एक्ट की धारा 81 के अंतर्गत दर्ज होगा मामला
खाने में थूकने और पेशाब करने संबंधी घटनाएं अब अपराध की श्रेणी में आएंगी। इन घटनाओं को उत्तराखण्ड पुलिस एक्ट की धारा 274 इठर और उत्तराखण्ड पुलिस एक्ट की धारा 81 के अंतर्गत दर्ज करेगी। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार इस तरह की घटनाओं से अगर धार्मिक, मूलवंशीय या भाषायी भावनाओं पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है तो इन मामलों को धारा 196 (1) (बी) अथवा 299 के तहत भी दर्ज कर कार्रवाई की जाएगी।

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मोदी प्रचंड बहुमत के साथ करेंगे वापसी…प्लान ‘बी’ की जरूरत तब पड़ती है, जब प्लान ए फैस हो जाता…

लोकसभा चुनाव में पांचवें चरण की वोटिंग 20 मई को होने जा रही है। चार चरणों की वोटिंग के बाद गृहमंत्री अमित शाह ने कह दिया है कि बीजेपी बहुमत पहले ही पा चुकी है और अब तो बस 400 पार जाना है। विपक्ष उनके दावों पर चुटकी जरूर ले रहा है, लेकिन शाह पूरी तरह आत्मविश्वास से भरे हुए हैं। उनका कहना है कि पीएम मोदी प्रचंड बहुमत के साथ फिर वापसी कर रहे हैं।
अब एएनआई को दिए गए इंटरव्यू में अमित शाह ने हर सवाल का जवाब दिया है। उनसे पूछा गया कि अगर बहुमत नहीं मिलता तो क्या शाह के पास कोई प्लान बी भी तैयार है? इस पर गृहमंत्री ने कहा कि प्लान बी की जरूरत तब पड़ती है, जब प्लान ए के सफल होने की संभावना 60 फीसदी से कम होती है। मैं तो भरोसे के साथ कह सकता हूं कि पीएम मोदी प्रचंड बहुमत के साथ फिर वापसी करने वाले हैं। वैसे इससे पहले भी कई इंटरव्यू में शाह कह चुके हैं कि पीएम मोदी ही देश के अगले प्रधानमंत्री बनने जा रहे हैं, 2029 के चुनाव में भी वे बीजेपी का चेहरा रहने वाले हैं।
साउथ में बीजेपी के
लिए क्या उम्मीद?
अब आरक्षण के बाद शाह से दक्षिण भारत की राजनीति पर भी सवाल हुआ। आखिर बीजेपी कितना वहां से गेन कर सकती है, कांग्रेस की रणनीति को लेकर उनके क्या विचार है, इन पहलुओं पर भी एक विस्तृत जवाब मिला।

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एमडीएच : दुनियाभर में लगा बैन, भारत में बिक्री क्यों जारी

सिंगापुर और हॉन्ग कॉन्ग के बाद अब नेपाल ने भी भारत के दो मसाला ब्रांड एवरेस्ट और टऊऌ की बिक्री, खपत और आयात पर प्रतिबंध लगा दिया है। नेपाल के खाद्य प्रौद्योगिकी एवं गुणवत्ता नियंत्रण विभाग ने इन मसालों में कीटनाशक एथिलीन आॅक्साइड होने की आशंका के बीच ये फैसला लिया है। इन मसालों में एथिलीन आॅक्साइड की जांच शुरू कर दी गई है।
नेपाल के खाद्य प्रौद्योगिकी विभाग के प्रवक्ता मोहन कृष्णा महाराजन ने कहा कि एवरेस्ट और एमडीएच ब्रांड के मसालों के आयात पर बैन लगा दिया गया है। हमने बाजार में इन मसालों की बिक्री पर भी प्रतिबंध लगा दिया है। इन मसालों में हानिकारक रसायन होने की खबर मिलने के बाद ये कदम उठाया गया है। इन दोनों ब्रांड के मसालों में खतरनाक रसायनों की जांच चल रही है। इसकी जांच रिपोर्ट आने तक प्रतिबंध जारी रहेगा।
एमडीएच और एवरेस्ट के मसालों की जांच ब्रिटेन, न्यूजीलैंड, अमेरिका और आॅस्ट्रेलिया में भी शुरू हो सकती है। ब्रिटेन की खाद्य सुरक्षा एजेंसी ने सख्त कार्रवाई करते हुए कहा है कि वो भारत से आने वाले सभी मसालों पर जहरीले कीटनाशकों की जांच को और सख्त कर रही है, जिसमें एथिलीन आॅक्साइड भी शामिल है। न्यूजीलैंड के खाद्य सुरक्षा नियामक विभाग के अनुसार एथिलीन आॅक्साइड एक केमिकल है, जिससे इंसानों को कैंसर हो सकता है।
क्या है ये एथिलीन आॅक्साइड?
एथिलीन आॅक्साइड एक रंगहीन गैस है। रूम टेम्प्रेचर में रखे होने पर इससे मीठी-सी गंध आती है। नेशनल कैंसर इंस्टीट्यूट के मुताबिक… इस गैस का इस्तेमाल एथिलीन ग्लाइकोल (एंटी फ्रीज) जैसे केमिकल बनाने में किया जाता है। इसके अलावा इसका इस्तेमाल टेक्सटाइल, डिटर्जेंट, फोम, दवाएं, एडहेसिव और सॉल्वेंट्स बनाने में भी होता है। खाने के मसालों में भी इसका थोड़ी मात्रा में इस्तेमाल किया जाता है, ताकि ई. कोलाई और साल्मोनेला जैसे माइक्रोबायल कंटेमिनेशन को रोका जा सके। अस्पतालों में इसका इस्तेमाल सर्जिकल इक्विपमेंट को साफ करने में भी किया जाता है।

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रोहतक के निर्दलीय रणधीर के पास संपत्ति के नाम पर दो रुपए………

लोकसभा चुनाव के छठे चरण में चुनाव लड़ने वालों में जहां अन्य उम्मीदवारों के पास करोड़ों रुपए की संपत्ति है, वहीं दूसरी तरफ एक उम्मीदवार ऐसा भी है, जिसके पास मात्र दो रुपए की संपत्ति है। एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स यानि एडीआर द्वारा एक रिपोर्ट में दी गई जानकारी के मुताबिक छठे चरण का चुनाव 25 मई को होने जा रहा है। इस चरण के सबसे गरीब उम्मीदवार का नाम है मास्टर रणधीर सिंह। रणधीर सिंह रोहतक से निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं।
सबसे कम संपत्ति की घोषणा करने वालों में रणधीर सिंह का नाम पहले स्थान पर है। उन्होंने दो रुपए की संपत्ति घोषित की है। रणधीर पिता ममन सिंह की उम्र 60 साल है। उन्होंने बताया कि उनके पास केश में 1 रुपया है और 1 रुपया उनके स्टेट बैंक आॅफ इंडिया के अकाउंट में जमा है। ऐसे उनकी संपत्ति 2 रुपए है। न जमीन है। न कार। न दोपहिया। न घर। पेनकार्ड (एवफढर5036ट) है तो सही, लेकिन इनकम के नाम पर कुछ नहीं है। एमडीयू रोहतक से एमए, बी-एड किया है। हलफनामे में पत्नी के नाम का जिक्र नहीं है। नामांकन के साथ उन्होंने 101 रुपए की स्टॉम्प ड्यूटी चुकाई थी, जिसकी रसीद भी हलफनामे में है।
रिपोर्ट के मुताबिक दूसरे स्थान पर हैं प्रतापगढ़ में एसयूआईसी के उम्मीदवार रामकुमार यादव। राम कुमार यादव ने अपनी कुल संपत्ति 1,686 रुपए घोषित की है। उनके पास 500 रुपए नकद और यूबीआई के खाता नंबर 2010000118 में 1186 रुपए जमा हैं। ऐसे उनकी कुल पूंजी 1686 रुपए है। वे समाजसेवी हैं।

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पीएम और सीएम खड़े रहे ‘डीएम’ बैठे रहे….!

मंगलवार को वाराणसी से नामांकन पत्र दाखिल किया। इस दौरान पीएम मोदी खड़े थे, जबकि रिटर्निंग आॅफिसर (कलेक्टर) बैठे हुए थे। ऐसे में हर व्यक्ति के दिमाग में एक सवाल था कि क्या रिटर्निंग अधिकारी पीएम से बड़ा होता है। यदि नहीं तो फिर पीएम के सामने खड़ा क्यों नहीं हुआ।
पीएम मोदी जब नामांकन दाखिल करने पहुंचे, तब उनके साथ गृहमंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और सीएम योगी आदित्यनाथ समेत तमाम बड़े नेता भी मौजूद रहे। तस्वीर पर गौर किया कि नामांकन पत्र दाखिल करते वक्त पीएम मोदी तो खड़े थे, लेकिन रिटर्निंग आॅफिसर कुर्सी पर ही बैठे रहे। हालांकि, सिर्फ पीएम मोदी ही नहीं, बल्कि कोई भी उम्मीदवार हो, रिटर्निंग आॅफिसर बैठे ही रहते हैं। दरअसल, ये एक प्रोटोकॉल होता है। नामांकन करने कितना ही बड़ा नेता क्यों न आ जाए, उनके सम्मान में रिटर्निंग आॅफिसर खड़ा नहीं हो सकता।
खड़े क्यों नहीं होते रिटर्निंग आॅफिसर?- चुनाव के दौरान रिटर्निंग आॅफिसर उस जिले का मुख्य चुनाव अधिकारी होता है। और कोई भी व्यक्ति एक उम्मीदवार की हैसियत से नामांकन करने आया होता है, फिर चाहे वो प्रधानमंत्री ही क्यों न हों, इसलिए रिटर्निंग आॅफिसर बैठे रहते हैं। रिटर्निंग आॅफिसर एकमात्र लीगल अथॉरिटी होता है और उनपर कोई भी आदेश नहीं चला सकता। प्रोटोकॉल के कारण नामांकन प्रक्रिया के दौरान रिटर्निंग आॅफिसर अपनी कुर्सी पर बैठे रहते हैं। ये ठीक उसी तरह होता है जैसा अदालतों में होता है। अदालत में बड़े नेता या मंत्री की पेशी क्यों न हो, जज अपनी कुर्सी से खड़े नहीं होते। वैसे ही रिटर्निंग आॅफिसर भी नामांकन के समय कभी खड़े नहीं होते।

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