मध्यप्रदेश की धरती पर विदेशी चीता आने के बाद अब जिराफ और जेब्रा भी आएंगे। भोपाल के वन विहार के मास्टर ले-आउट प्लान को जू अथॉरिटी आॅफ इंडिया से हरी झंडी मिल गई है। वहीं, वन विहार मैनेजमेंट ने सरकार से प्रोजेक्ट के लिए डेढ़ करोड़ रुपए भी मांगे हैं। अधिकारियों का कहना है कि जू अथॉरिटी और सरकार से प्रोसेस पूरी होने के बाद जिराफ और जेब्रा लाने के प्रोजेक्ट में और तेजी आएगी।
वन विहार मैनेजमेंट ने करीब 8 महीने पहले जू अथॉरिटी आॅफ इंडिया को प्रस्ताव भेजा था। वहीं, वन मंत्री डॉ. विजय शाह भी अफ्रीका से जिराफ-जेब्रा लाने की बात कह चुके हैं, इसलिए प्रोजेक्ट में और तेजी आई। वन विहार की डायरेक्टर पद्मप्रिया बालकृष्णन ने बताया कि मास्टर ले-आउट प्लान को अप्रूवल मिल गया है। वहीं, प्रोजेक्ट के लिए सरकार भी राशि मांगी गई है। जू अथॉरिटी के निदेर्शानुसार आगे की प्रोसेस की जा रही है।
इसलिए बेहतर है वन विहार
वन विहार देश का इकलौता ऐसा नेशनल पार्क है, जो किसी राजधानी के बीचों-बीच है। 26 जनवरी 1983 को इसे नेशनल पार्क का दर्जा मिला था। वन विहार बड़े तालाब के पास पहाड़ी और आसपास के 445.21 हेक्टेयर क्षेत्र को मिलाकर बना है। हर साल यहां डेढ़ से दो लाख पर्यटक आते हैं, इसलिए जिराफ और जेब्रा के लिए इसे बेहतर माना जा रहा है। वन विहार में बबूल की प्रजातियों की पत्तियां, फल और फूल के पेड़-पौधे भी हैं, इसलिए यह जिराफ-जेब्रा के लिए अनुकूल माना गया है।
एमपी में दो शिफ्ट में आ चुके 20 चीते- टाइगर और लेपर्ड स्टेट मध्यप्रदेश चीता स्टेट भी बन चुका है। पिछले साल 18 सितंबर को कूनो नेशनल पार्क में 8 चीते छोड़े गए थे। इसके बाद 12 चीते और आए थे। इस तरह 20 चीते यहां आ चुके हैं। इनमें से दो की मौत हो गई है। अब शेष 18 चीते हैं। वहीं, एक मादा चीता ने चार शावकों को भी जन्म दिया है।