आॅन ईयर होेने के बाद भी इस बार भोपाल में आम की पैदावार 50 फीसदी तक कम होगी। यहां के आम भी 15 मई तक ही बाजार में मिल सकेंगे। इस वजह से आम के शौकीनों को अभी आंध्रप्रदेश, गुजरात, महाराष्ट्र आदि प्रदेशों से आ रहे आम पर निर्भर रहना पड़ेगा। आम की पैदावार कम होने की सबसे बड़ी वजह बार-बार बदलने वाला मौसम का मिजाज भी है। एक्सपर्ट्स के मुताबिक इस साल मौसम में इतने उतार-चढ़ाव आए कि आॅन ईयर होने के बाद भी आम की पैदावर आधी रह गई। इस बार तो आॅफ ईयर से भी कम पैदावार हो रही है। भोपाल में 450 हेक्टेयर में आम की पैदावर होती है।
18 हजार क्विंटल उपज होेने के आसार
एक हेक्टेयर में करीब 80 क्विंटल आम होता है। इस तरह से 36 हजार क्विंटल आम होना चाहिए था। लेकिन, इस बार करीब 18 हजार क्विंटल ही पैदावार होने के आसार हैं। वह भी मई के मध्य में उपलब्ध हो सकेगा। एक्सपर्ट्स ने बताया कि दिसंबर में ठंड कम थी, तापमान बढ़ गया था, इस वजह से बौर समय से पहले आना शुरू हो गए। यह काले भी पड़ गए। जनवरी में फिर ठंड बढ़ी उसके बाद तापमान बढ़ने पर नये बौर आए। बीच-बीच मेंं आंधी बारिश से बड़ी मात्रा में बौर झड़ भी गए। यहां का आम राजस्थान, छग और दिल्ली के अलावा अरब देशों में भी जाता है।
सिंचाई पर फोकस करें
डॉ. आरके जायसवाल (प्रिंसिपल साइंटिस्ट, फल अनुसंधान केंद्र) का कहना है कि अब आम के किसानों को सिंचाई पर फोकस करना चाहिए। सिंचाई से आम के झड़ने की रफ्तार कम होगी। इस बार 50 फीसदी कम पैदावार मिलेगी। बार-बार मौसम बदलना इसका मुख्य कारण है। यह आॅन ईयर है फिर भी प्राकृतिक कारणों से ऐसी स्थिति बनी है।