इंदौर। गांधीनगर गृह निर्माण सहकारी संस्था में जो भी हो रहा है, संस्था प्रबंधक और सहकारिता विभाग के अधिकारियों की मिलीभगत से हो रहा है। इसका उदाहरण है एक आॅडियो। जिसमें वरिष्ठ सहकारिता निरीक्षक आशीष सेठिया को संस्था प्रबंधक फूलचंद पांडे से प्लॉट या पैसे मांगते सुना जा सकता है। ये 400 पेज की जांच रिपोर्ट दबाने में संस्था की मदद करने का इनाम है। इस काम के लिए सेठिया खुद कहते हैं कि कितनी मेहनत की है और कैसे वरिष्ठों को समझाया है, क्या बताऊं। बहरहाल, लोकायुक्त ने मामले में जांच प्रकरण दर्ज करके संस्था प्रबंधक से लेकर सहकारिता निरीक्षक तक को नोटिस जारी करके जवाब मांगा है।
मामला अक्टूबर के पहले सप्ताह का है। जब पीड़ित जितेंद्र अग्रवाल ने फूलचंद पांडे को फोन लगाया था। पांडे ने फोन उठाया और उठाकर बात करना भूल गए। उस दौरान उनका ध्यान सहकारिता निरीक्षक सेठिया से बातचीत में था। पांडे और सेठिया के बीच बातचीत अग्रवाल के फोन में रिकार्ड होती रही। अग्रवाल ने ये रिकार्डिंग लोकायुक्त को दी है। लोकायुक्त डीएसपी पी.एस. बघेल ने बताया कि लोकायुक्त ने जांच प्रकरण दर्ज कर लिया। मामले से जुड़े सभी लोगों को नोटिस देकर उनसे अपना पक्ष मय दस्तावेजी प्रमाण के रखने को कहा है।
भ्रष्टाचार में पकड़े जा रहे हैं अफसर
शिकायतकर्ताओं का कहना है कि सहकारिता विभाग में काम को छोड़कर सब हो रहा है। सहायक आयुक्त जी.एस. परिहार ने 425 पेज की जांच रिपोर्ट दी थी। उन्होंने अपना काम बेहतर किया। इसके बाद खेल खेला उपायुक्त मदन गजभिए ने। जिन्होंने प्रवीण जैन को संस्था का जिम्मा सौंपा।
जैन संस्था की गलतियों को दुरुस्त करने के बजाय संस्था के फूलचंद पांडे के साथ हो लिए। खुद जैन लोकायुक्त के हाथों रिश्वत लेते रंगेहाथ पकड़े जा चुके हैं। यही वजह है कि 2020 की जांच रिपोर्ट पर अब तक कुछ नहीं हुआ। उपायुक्त ने कभी कर्मचारियों की संख्या का रोना रोया, तो कभी कोविड का। कभी चुनाव ड्यूटी का, तो कभी किसी काम का। 2020 से 2024 के बीच लोकायुक्त ने आधा दर्जन अफसरों को रिश्वत लेते हुए पकड़ा है। इसका मतलब ये है कि सहकारिता निरीक्षकों के पास रिश्वत लेने के लिए समय है, काम करने के लिए नहीं।