नई दिल्ली, एजेंसी।
पिछले 3 वर्षों में करीब 123 चुनाव हुए हैं। चाहे नगरपालिका को हों या पंचायत का… हर चुनाव अहम् है। अगर जेल में बंद व्यक्ति इसी तरह किसी ना किसी चुनाव में प्रचार के लिए जमानत मांगेगा तो जांच के दायरे से बाहर हो जाएगा। अपराधी प्रचार के नाम पर जमानत मांगेंगे और हर चुनाव में ऐसी आवेदन दाखिल करेंगे। यदि चुनाव प्रचार के लिए अंतरिम जमानत दी जाती है तो फिर किसी भी राजनेता को गिरफ्तार नहीं किया जा सकेगा और ना ही न्यायिक हिरासत में रखा जा सकेगा, क्योंकि चुनाव पूरे साल होते रहते हैं।
दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल की अंतरिम जमानत पर सुप्रीम कोर्ट में अपना पक्ष रखते हुए यह बात ईडी ने कही है। गुरुवार को प्रवर्तन निदेशालय ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर किया और केजरीवाल की जमानत का विरोध किया है। ईडी ने कहा- चुनाव प्रचार ना मौलिक अधिकार है और ना ही संवैधानिक या कानूनी। केजरीवाल को जमानत मिलने की स्थिति में बेईमान नेताओं को चुनाव की आड़ में बचने का मौका मिल जाएगा। आम चुनाव में प्रचार के लिए केजरीवाल को अंतरिम जमानत देने से गलत परंपरा बनेगी। इससे सभी बेईमानी और भ्रष्टाचार के आरोपी राजनेताओं को चुनाव की आड़ में अपराध करने और जांच से बचने का मौका मिलेगा। अपने 44 पेज के हलफनामे में ईडी ने एक चार्ट के जरिए पांच साल के चुनावों का ब्योरा दिया है। इसमें बताया है कि अब तक जेल से चुनाव लड़ने वाले किसी भी नेता को प्रचार के लिए अंतरिम जमानत नहीं दी गई।