इंदौर। कांग्रेस उम्मीदवार अक्षय कांति बम के नामांकन वापस लेने से इंदौर देश में एक और रिकॉर्ड बनाने की ओर अग्रसर है। देश का सबसे स्वच्छ शहर के साथ ही इंदौर के नोटा में भी नंबर वन आने की पूरी संभावना है। बम के मैदान छोड़ने के बाद कांग्रेस ने पार्टी के मतदाताओं को नोटा पर वोट देने की अपील की है। इसके चलते कांग्रेस के कट्टर समर्थकों ने तो नोटा को वोट देने का मन बनाया है। साथ ही ह्यबम कांडह्ण से शहर की जनता भी बड़ी संख्या में नाराज है। अधिकांश लोग कांग्रेस प्रत्याशी के नामांकन वापस लेने के पीछे भाजपा के कुछ नेताओं को जिम्मेदार मान रहे है और उनसे नाराज भी हैं। ऐसे लोगों ने भी नोटा को वोट देने का मन बनाया है। साल 2019 के लोकसभा चुनाव में इंदौर संसदीय क्षेत्र से नोटा को 5045 वोट मिले थे और वह चौथे नंबर पर रहा था। वहीं 2019 के लोकसभा चुनाव में बिहार की गोपालगंज सीट पर सबसे ज्यादा 51660 लोगों ने नोटा चुना था। इस बार इंदौर यह रिकॉर्ड तोड़ता नजर आ रहा है।
लग चुकी है भाजपाइयों की क्लास
नोटा के मुद्दे पर दिल्ली में बैठे भाजपा हाईकमान ने इंदौर के नेताओं की क्लास ली है। रविवार रात स्थानीय भाजपा कार्यालय में हुई बैठक में कांग्रेस के नोटा अभियान को हल्के में नहीं लेने की सलाह दी गई थी। कहा गया कि इससे भाजपा के खिलाफ माहौल बन रहा है। मतदान को लेकर मतदाताओं में उत्साह नजर नहीं आ रहा है।
नोटा पर इनके विचार…
प्रजातंत्र का मतलब जनता के बीच जाकर जनता का निर्णय हासिल करना है कि वह क्या चाहती है। चुनाव इसलिए ही होते हैं। इंदौर के इतिहास में अपनी तरह के पहले चुनावी पाला बदल के बाद शहर के कुछ पढ़े-लिखे लोगों ने फोन करके नाराजगी जताई। इन लोगों ने नोटा का विकल्प चुनने की बात कही।
- सुमित्रा महाजन, पूर्व लोकसभा अध्यक्ष व इंदौर सांसद
यह लड़ाई भाजपा और कांग्रेस की नहीं, बल्कि भाजपा और जनता के बीच की है। जनता नोटा का बटन दबाकर भाजपा को सबक सिखाएगी। हम नोटा को वोट देने की अपील सभी मतदाताओं से कर रहे हैं।
-जीतू पटवारी, अध्यक्ष, मप्र कांग्रेस
नोटा के लिए कांग्रेस का आह्वान 100 प्रतिशत नकारात्मक है। इस आह्वान पर मुझे कोई आश्चर्य नहीं है क्योंकि कांग्रेस पिछले 10 साल में देश में नकारात्मक राजनीति कर रही है। नोटा की अपील बेअसर रहेगी। - कैलाश विजयवर्गीय, कैबिनेट मंत्री, मप्र शासन
लोग अपने मताधिकार के प्रयोग के लिए स्वतंत्र है, लेकिन एक राष्ट्रीय दल नोटा पर वोट देने का आव्हान कर रहा है जो लोकतंत्र के लिए ठीक नहीं है।
-शंकर लालवानी, भाजपा उम्मीदवार, इंदौर लोकसभा
जब चुनाव लड़ रहा कोई भी उम्मीदवार मतदाता की पसंद का नहीं है तो वह नोटा का विकल्प चुन सकता है।
-अनुपम राजन,मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी
10 फीसदी कांग्रेसियों ने भी चुना नोटा…तो बन जाएगा राष्ट्रीय रिकॉर्ड
पिछले लोकसभा चुनाव में कुल 1629108 वोट पड़े थे जिसमें से कांग्रेस के पंकज संघवी को 520815 वोट मिले थे जो कुल मतदान का 31.96 फीसदी था। अब यदि इसमें से सिर्फ 10 फीसदी अर्थात 52081 मतदाताओं ने भी नोटा को चुना तो इंदौर का राष्ट्रीय रिकॉर्ड बनाना तय है बशर्ते देश की किसी अन्य संसदीय सीट पर नोटा को इससे ज्यादा वोट नहीं मिले।राजनैतिक जानकारों का कहना है कि नोटा को मिलने वाले वोटों की संख्या हजारों में नहीं बल्कि लाखों में रहेगी। नीरस चुनाव के चलते यदि आधे कांग्रेसियों ने भी मतदान नहीं किया तब भी 2.60 लाख मतदाता ऐसे हैं जिनकी नोटा का बटन दबाने की पूरी संभावना है। वहीं कांग्रेस से इतर आम जनता में भी नाराजगी है, तो वहां से भी कुछ वोट विरोध स्वरूप नोटा में शिफ्ट हो सकते हैं।