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मोहन कार्यकाल में पहला महीना

एक महीने के दौरान डॉ. यादव ने अपने फैसलों और वर्किंग स्टाइल से इसी तरह के मैसेज दिए हैं- ब्यूरोक्रेट्स को और जनता को। पिछले महीने 11 तारीख को विधायक दल की बैठक में नेता चुने जाने के दो दिन बाद उन्होंने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली, लेकिन पॉवरफुल सीएम हुए… 30 दिसंबर को जब मंत्रियों को विभाग बांटकर काम सौंपा। डॉ. यादव ने गृह, जेल, उद्योग, खनिज जैसे महत्वपूर्ण महकमों की कमान सीधे तौर पर अपने पास रखी, यानि ये विभाग किसी मंत्री को नहीं दिए। जाहिर है, यह निर्णय दिल्ली का ही था… खास रणनीति के तहत, खास संदेश के साथ। एक महीने के दौरान लिए बड़े फैसलों, मैसेज और सामने आए सवालों को समझते हैं।
शपथ लेने के तीसरे दिन छिंदवाड़ा पहुंचे। मंच पर कलेक्टर से बात करते हुए कहा- कलेक्टर साहब ध्यान रखिए पटवारी से गलती हुई तो आप पर भी कार्रवाई होगी। संदेश था- गड़बड़ी हुई तो बड़े भी नहीं बचेंगे। ऐसा कर भी दिया। गुना बस हादसे में 13 लोग जिंदा जल गए। फळड को तो सस्पेंड किया ही, परिवहन आयुक्त व विभाग के प्रमुख सचिव तक को हटा दिया। प्रदेश में ऊपर तक की कार्रवाई पहली मर्तबा हुई। सबसे चर्चित फैसला तो शाजापुर कलेक्टर को हटाने का रहा। कलेक्टर ने एक बैठक में ड्राइवर को औकात दिखाने की बात कह दी थी। अगले दिन मुख्यमंत्री ने कहा- ऐसी भाषा बर्दाश्त नहीं। कुछ मिनट बाद कलेक्टर को भोपाल बुलाने का आदेश जारी हो गया। दरअसल, शिवराजसिंह चौहान के कार्यकाल के दौरान अफसरशाही के हावी होने की बातें पार्टी फोरम में भी चर्चा का विषय बनती रहीं। शिवराज ने अपने कार्यकाल के आखिरी दौर में इस बात को समझा और फिर ‘नायक’ स्टाइल में मौके पर ही फैसले सुनाना शुरू कर दिए। मंच से ही अफसर सस्पेंड। कलेक्टर-एसपी को चेतावनी। तब तक देर हो चुकी थी। नए मुख्यमंत्री ने बिना देर किए इस देरी को समझ लिया। शिवराजसिंह चौहान की मुख्यमंत्री पद से विदाई के बाद से ही सबसे ज्यादा चर्चा लाड़ली बहनों को लेकर हुई। सवाल उठने लगे कि 10 तारीख को लाड़ली बहना के खाते में रुपए आएंगे या नहीं? 10 तारीख आई और लाड़ली बहनों के खाते में रुपए भी आए। पहले की तरह इवेंट भी हुआ। महिलाओं ने नए मुख्यमंत्री के साथ सेल्फी भी ली। सरकार ने स्पष्ट कर दिया कि लाड़ली बहना योजना चलती रहेगी। राशि 1250 से बढ़ाकर 3000 रुपए तक ले जाने के शिवराज के वादे पर नई सरकार ने अभी रुख स्पष्ट नहीं किया है।
वैसे भी भाजपा के घोषणा-पत्र में जिक्र था- लाड़ली बहनों को आर्थिक मदद जारी रहेगी। 3000 रुपए को लेकर पार्टी ने कोई औपचारिक वादा नहीं किया, यानि 1250 रुपए ही हर महीने मिलेंगे।
मुख्यमंत्री एक महीने के दौरान पांच संभागों में पहुंचकर समीक्षा कर चुके हैं। बैठकों के दौरान अफसरों के परफॉर्मेंस को भी देखा जा रहा है। जबलपुर संभाग की बैठक के बाद जबलपुर कलेक्टर सौरव कुमार सुमन को हटा दिया। ऐसा पहली बार हो रहा है कि मुख्यमंत्री संभागीय मुख्यालय पर पहुंचकर पूरे संभाग का रिव्यू कर रहे हैं। इससे पहले राजधानी से ही संभागों की समीक्षा होती थी और संभागीय मुख्यालय एक तरह से डाकिए की भूमिका में थे।
नई व्यवस्था में वल्लभ भवन में बैठे वरिष्ठ अफसरों को भी फील्ड में जाने की आदत डालने के लिए संभागों का जिम्मा सौंपा। अपर मुख्य सचिवों को संभागीय प्रभारी नियुक्त कर उन्हें संभाग की जिम्मेदारी दी है।

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