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Tunnel Rescue: सुरंग की ‘कैद’ में मजदूरों ने ऐसे बिताए 16 दिन, खुद को स्वस्थ रखने के लिए किया ये काम

Uttarkashi Tunnel Collapse: सुरंग के भीतर बीते 16 दिन से फंसे मजदूरों को बाहरी दुनिया की मुश्किलों की जानकारी नहीं दी गई थी। उनका हर वक्त हौसला बढ़ाया जाता रहा, जिससे वह परेशानी महसूस न करें। वह मोबाइल पर गाने सुनते थे। बीएसएनएल के लैंडलाइन फोन से परिजनों से बातचीत भी कर पा रहे थे। 

परिजनों और भीतर फंसे मजदूरों के बीच संवाद कायम रखने के लिए उन्हें कुछ औपचारिकताएं पूरी करके अंदर जाने की आजादी दी गई थी। परिजन सुरंग के भीतर जाकर अंदर फंसे अपने लोगों से बातचीत कर पा रहे थे। सबा अहमद के भाई नैयर अहमद ने बताया कि वह जब भी बात करते थे तो उसे समझाते थे कि सबकुछ ठीक चल रहा है।  

फोन की मदद से सबा की पत्नी व तीन बच्चों के हालचाल भी उसे लगातार बता रहे थे। बिहार में बैठे परिजन भी सबा का हौसला बढ़ा रहे थे। डॉक्टर की टीम सुबह और शाम दो चरणों में पांच घंटे मजदूरों से बातचीत कर रही थी। 

डॉ. प्रेम पोखरियाल का कहना है कि वह हर मजदूर की स्वास्थ्य संबंधी समस्या सुनते थे। उसी हिसाब से दवाई भीतर भेज रहे थे। उन्होंने बताया कि मजदूरों को भीतर लगातार ओआरएस का घोल पीने की सलाह दी जा रही थी। उन्हें समय से नाश्ता, लंच, डीनर भी भेजा जा रहा था।

उन्होंने बताया कि मजदूरों को पहले एनर्जी ड्रिंक भेजी गई थी, लेकिन फिर पूरा भोजन दिया गया। मजदूर खुद को स्वस्थ रखने के लिए भीतर ही योगा कर रहे थे। सुरंग के भीतर सुबह-शाम टहल रहे थे।

मजदूरों के लिए सोने की परेशानी हो सकती थी, लेकिन सौभाग्य से भीतर जियो टेक्सटाइल शीट थी, जो मजदूरों के सोने के काम आई। उन्हें वीडियो गेम खेलने के लिए मोबाइल भेजे गए थे। 

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