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Chandrayaan-3: ISRO ने जारी कीं विक्रम लैंडर की ताजा तस्वीरें, चंद्रयान-2 के ऑर्बिटर का किया गया इस्तेमाल……….

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने चंद्रयान-3 के लैंडर की तस्वीरों को साझा किया है। ये तस्वीरें चांद की कक्षा पर घूम रहे चंद्रयान-2 के डुअल-फ्रीक्वेंसी सिंथेटिक एपर्चर रडार (डीएफएसएआर) उपकरण ने छह सितंबर, 2023 को खींची थी। विक्रम लैंडर 23 अगस्त को शाम छह बजकर चार मिनट पर चंद्रमा की सतह पर उतरा था। 

Chandrayaan-3: इसरो ने चंद्रयान-3 के लैंडर की तस्वीरों को साझा किया है। ये तस्वीरें चांद की कक्षा पर घूम रहे चंद्रयान-2 के डुअल-फ्रीक्वेंसी सिंथेटिक एपर्चर रडार (डीएफएसएआर) उपकरण ने छह सितंबर, 2023 को खींची थी।

ISRO shares an image of the Chandrayaan-3 Lander taken by DFSAR

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने चंद्रयान-3 के लैंडर की तस्वीरों को साझा किया है। ये तस्वीरें चांद की कक्षा पर घूम रहे चंद्रयान-2 के डुअल-फ्रीक्वेंसी सिंथेटिक एपर्चर रडार (डीएफएसएआर) उपकरण ने छह सितंबर, 2023 को खींची थी। विक्रम लैंडर 23 अगस्त को शाम छह बजकर चार मिनट पर चंद्रमा की सतह पर उतरा था। 

अंतरिक्ष एजेंसी ने अपने बयान में जानकारी दी कि डीएफएसएआर चंद्रयान-2 ऑर्बिटर पर लगा एक प्रमुख वैज्ञानिक उपकरण है। यह एल और एस बैंड्स में माइक्रोवेव का इस्तेमाल करता है। यह अत्याधुनिक उपकरण वर्तमान में किसी भी ग्रह मिशन पर सबसे अच्छा रिजॉल्यूशन पोलारिमेट्रिक तस्वीरों की पेशकश करता है। डीएफएसएआर पिछले चार वर्षों से चांद की सतह से उच्च गुणवत्ता वाले डेटा को प्रसारित कर रहा है। 

नासा ने भी साझा की थी विक्रम लैंडर की तस्वीर
इससे पहले हाल ही में अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने भी चंद्रयान-3 के लैंडर की तस्वीर साझा की थी। यह तस्वीर चांद की कक्षा में घूम रहे उसके लूनर रिकॉनिसेंस ऑर्बिटर (एलआरओ) ने 27 अगस्त को खींची थी। इसरो ने भी पांच सिंतबर की शाम को विक्रम लैंडर की 3डी तस्वीर साझा की थी। एजेंसी ने अपने ट्विटर पोस्ट में लिखा था, इसे देखने का असली मजा रेड और सियान रंग के 3डी ग्लास से आएगा। यह तस्वीर प्रज्ञान रोवर ने लैंडर से 15 मीटर की दूरी से क्लिक की थी। 

चंद्रमा के दक्षिण ध्रुव पर उतरने वाला भारत पहला देश
बता दें कि चंद्रमा के दक्षिण ध्रुव पर अपने लैंडर को उतारने वाला भारत पहला देश है। इसरो ने 23 अगस्त को इसकी सफलतापूर्व लैंडिग कराई थी। हालांकि, उत्तरी ध्रुव पर पहले रूस, अमेरिका और चीन अपने यानों को उतार चुके हैं। अंतरिक्ष के क्षेत्र में इसरो की इस सफलता को बड़ी कामयाबी माना जा रहा है। अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करें

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