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इंटरनेशनल डॉग डे : कभी कुत्ते भी भेड़िए थे, सफर इंसानों का पालतू बनने का…

नई दिल्ली, एजेंसी
इंसानों का सबसे वफादार जानवर ‘भेड़िया’ है। आपको ये बेतुका लगेगा, लेकिन आंशिक रूप से सच है। दरअसल, आपके आसपास मौजूद कुत्ते पहले कभी भेड़िए थे। करीब 20 हजार साल पहले ये इंसानों के सबसे बड़े दुश्मन माने जाते थे। फिर ऐसा क्या हुआ कि हमारे सबसे बड़े दोस्त और वफादार बन गए।
करीब 30 हजार से 10 हजार साल पुरानी बात है। आइस एज यानी बर्फ से ढंकी धरती का आखिरी दौर चल रहा था। इंसानों की आबादी धीरे-धीरे बढ़ने लगी थी। साथ ही पेड़-पौधे और तमाम जानवर सतह पर आने लगे थे। वैज्ञानिकों ने इस समय को नाम दिया है प्लेस्टोसीन। प्लेस्टोसीन के दौर में प्राचीन भेड़िए भी फले-फूले। इन भेड़ियों को खाने के लिए मांस की तलाश रहती थी, लेकिन धरती अब भी ठंडी थी तो शिकार के लिए छोटे जानवरों को ढूंढ़ना मुश्किल होता था। वैज्ञानिकों का दावा है कि इसी में से कुछ भेड़िए जो कम डरपोक थे, इंसानों की बस्ती के पास जाने लगे। वहां इंसानों के इस्तेमाल के बाद बची हुई हड्डियां और मांस इन भेड़ियों को आसानी से मिल जाता। यहीं से इंसानों से इनका शुरुआती संपर्क हुआ।
सराह मार्शल, पेसकिनी और जुलिअन कमिन्स्की के रिसर्च पेपर ‘द सोशल डॉग एंड इवोल्यूशन’ के मुताबिक जब इंसान होमो सेपियन्स बने तो एक जगह रहने लगे। झुंड में घूमते और एक जगह पर ही खाते-पीते थे। दूसरी तरफ भेड़िए काफी फुर्तीले थे। उनकी सुनने और सूंघने की क्षमता बाकी जानवरों से कहीं बेहतर थी। कई बार ऐसा भी होता कि इंसानों और भेड़ियों के बीच शिकार को लेकर मुठभेड़ हो जाती। इस दौरान इंसान और भेड़िए एक-दूसरे के जानी दुश्मन बन गए। रिसर्च के मुताबिक भेड़ियों के शरीर में स्ट्रेस हार्मोन ज्यादा होते हैं। यह स्ट्रेस हार्मोन ही उन्हें चिड़चिड़ा बनाता था और इंसानी बस्तियों में जाने से रोकता था, लेकिन कुछ भेड़ियों में यह स्ट्रेस हार्मोन नैचुरली कम था।
स्ट्रेस हार्मोन कम होने की वजह से ऐसे भेड़िए इंसान के करीब जाने की कोशिश करने लगे। इंसानों ने भी इन्हें अपना खाने में बची हुई हड्डियां डालनी शुरू कर दीं। यहीं से इंसान और शांत भेड़ियों की दोस्ती शुरू हो गई। आने वाले कुछ सालों में इंसानों ने इन भेड़ियों के साथ कई प्रयोग किए। इसमें उनके प्रजनन से लेकर उनके बर्ताव में बदलाव लाने की कोशिश करना शामिल था। यही दौर था जहां से भेड़ियों का कुत्तों के रूप में बदलाव शुरू हुआ। उनके डीएनए में स्ट्रेस हार्मोन्स गिरने लगा। इसके बाद उन भेड़ियों का डीएनए इवोल्यूशन की स्टेज में आ गया। इससे उनके दांतों का नुकीलापन कम होने लगा। जबड़े और दूसरी हड्डियों में फर्क दिखने लगा। इंसानों के साथ रहते-रहते उनका स्वभाव इंसानों के लिए दोस्ताना होने लगा। एशिया में कुत्तों की प्रजाति ‘ग्रे वुल्फ’ से निकली है, जबकि अफ्रीका में ‘सियार’ की प्रजाति से कुत्ते बने हैं।
पहला कुत्ता कहां मिला
इस पर अब भी विवाद
इंसान ने सबसे पहले भेड़िए को पालतू कहां बनाया? इस पर कोई एक राय नहीं है। नेचर्स कम्युनिकेशन रिसर्च पेपर का दावा है कि कुत्तों या उस समय के नॉन-एग्रेसिव भेड़ियों को साउथ चीन से मंगोल और यूरोप के कई देशों में लगभग एक ही समय पर पालतू बनाया गया था। चीन में 16 हजार साल पहले और भारत में करीब 12 से 14 हजार साल पहले भेड़िए पाले जाने लगे थे। वहीं अमेरिका में करीब 10 हजार साल पहले इन्हें पालना शुरू किया गया था।

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