चिकित्सा शिक्षा विभाग की लापरवाही मेडिकल कॉलेज में एडमिशन लेने वाले छात्रों पर भारी पड़ रही है। इस बार राज्य सरकार ने पहले चरण की काउंसिलिंग का ही शेड्यूल जारी किया है, जिसमें 14 अगस्त तक सीट छोड़ने पर सीट लीविंग बॉण्ड (30 लाख रुपए) लागू नहीं करने की बात कही है, लेकिन 14 अगस्त के बाद की स्थिति स्पष्ट नहीं की है।
छात्रों का कहना है कि आॅल इंडिया काउंसिलिंग से पहले यह फैसला कैसे कर सकते हैं… यदि बाद में छोड़ी तो 30 लाख रुपए भरना पड़ सकते हैं। हर साल राज्य का चिकित्सा शिक्षा विभाग काउंसिलिंग के पहले व दूसरे चरण की काउंसिलिंग का शेड्यूल जारी कर देता है। इस बार ऐसा नहीं किया गया। इस साल सिर्फ पहले चरण की काउंसिलिंग का शेड्यूल जारी किया गया है, जिसमें लिखा गया है कि अगर कोई छात्र सीट छोड़ना चाहता है तो उसे 14 अगस्त तक सीट छोड़ना होगी। अब सवाल यह उठ रहा है कि आॅल इंडिया काउंसिलिंग के दूसरे चरण की सीटों का अलॉटमेंट 18 अगस्त को हो रहा है तो ऐसे में कोई भी छात्र राज्य कोटा की आवंटित सीट पहले से कैसे छोड़ सकता है? इसका जवाब उन्हें कहीं नहीं मिल रहा है। यहां तक कि काउंसिलिंग प्रक्रिया से जुड़े अधिकारी भी इस तकनीकी त्रुटि का जवाब नहीं दे पा रहे हैं। एमबीबीएस व पीजी काउंसिलिंग के लिए जो काउंसिलिंग किया जाएगा। राज्य कोटे से प्रवेश लेने वाले छात्रों का कहना है कि तीस लाख लेने की स्थिति को स्पष्ट नहीं किया जा रहा है। यदि सरकार का यही रवैया रहा तो देश के अन्य राज्यों में भी एडमिशन लेने का मौका छिन जाएगा। राज्य कोटा की सीट की प्रतीक्षा सूची अन्य छात्रों के लिए रिक्त नहीं हो सकेगी और न ही छात्र आॅल इंडिया कोटे से अन्य राज्यों में प्रवेश ले सकेंगे। सीट रिक्त नहीं होने के कारण मध्यप्रदेश के द्वितीय चरण काउंसिलिंग में कोई भी प्रतीक्षा सूची व अपग्रेडेशन का वांछित छात्र फर्स्ट राउंड से बाहर नहीं निकल पाएगा। डॉ. एके श्रीवास्तव, डीएमई ने कहा सीट लिविंग बॉण्ड दूसरे राउंड में लागू होता है। आॅल इंडिया काउंसिलिंग में एडमिशन होने पर छात्र जा सकता है।