एनजीटी ने अहम फैसला देते हुए स्पष्ट किया है कि भोपाल नगर निगम को शहर के भीतर नगर वनों में पेड़ काटने की मंजूरी देने का अधिकार नहीं है। सुप्रीम कोर्ट के गोदवर्मन केस के फैसले के तहत डीम्ड फॉरेस्ट होने के कारण यह नगरीय निकायों के अधिकार क्षेत्र से बाहर है। जस्टिस सुधीर अग्रवाल और डॉ. अफरोज अहमद की जूरी ने भोपाल के नितिन सक्सेना द्वारा बड़े तालाब किनारे बोरवन नगर वन में काटे गए 85 पेड़ों को लेकर दायर याचिका पर यह फैसला दिया है।
एनजीटी ने एक संयुक्त जांच कमेटी गठित करते हुए 31 अगस्त तक बोरवन में पर्यावरण को हुए नुकसान का आकलन करने और इसकी भरपाई का प्लान बनाकर देने का आदेश दिया है। इस कमेटी में मप्र वन विभाग के पीसीसीएफ, मप्र वेटलैंड अथॉरिटी और मप्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से एक-एक प्रतिनिधियों को शामिल किया गया है।
याचिकाकर्ता के वकील हर्षवर्धन तिवारी ने बताया कि निगम ने बड़े तालाब किनारे बोरवन नगर वन में मई 2023 में 85 पेड़ काट दिए थे। यहां एक योग सेंटर का निर्माण किया गया है। निगम ने 3 मई को निर्माण शुरू किया था, जिसके लिए 4 मई को 0.1 हेक्टेयर क्षेत्र में 100 पेड़ काटने की मंजूरी अपने ही अधीनस्थ उद्यानिकी शाखा से ली थी।