बरेली से ऐसा मामला सामने आया, जिसे देखकर अदालत भी हैरान रह गई। महिलाओं से अत्याचार में फंसे एक पुरुष को बिना किसी कारण बिना किसी गलती के 4 साल की जेल की सजा काटनी पड़ी। इस बात का पता कभी नहीं लगता, अगर झूठा आरोप लगाने वाली लड़की अदालत में सुनवाई के दौरान अपनी गवाही से न मुकरती। मामले में कोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला दिया। कहा कि जितने दिन युवक जेल में रहा है, उतने दिन तुम्हें भी रहना होगा।
कोर्ट ने कहा कि बेगुनाह युवक को झूठे आरोप में फंसाया गया… जो सही नहीं है, इसीलिए झूठे आरोप लगाने वाली लड़की को भी उतने साल की सजा दी जाती है, जितनी सजा बिना किसी अपराध के युवक काट चुका है। कोर्ट ने कहा युवक जेल के बाहर रहता तो मजदूरी करते हुए इतने समय में 5,88,000 से अधिक रुपए कमा लेता, इसीलिए युवती से यह रकम वसूल करके युवक को दी जाए। रकम न देने पर युवती को 6 महीने की अतिरिक्त सजा भी होगी।
रोते-रोते युवक ने
सुनाई आपबीती
पीड़ित युवक अजय उर्फ राघव ने बताया- 2019 में सावन का प्रोग्राम चल रहा था, तब युवती की बड़ी बहन नीतू मेरे पास प्रोग्राम के लिए आई थी। इन्होंने कहा कि हमें प्रोग्राम सिखाएं। हम इसके लिए इनके घर पर जाते थे। जहां भी हम प्रोग्राम में जाते थे… नीतू के पति साथ में रहते थे। उसके मां और भाई भी जानते हैं कि हम यहां आते-जाते हैं। हम इनके घर पर बताकर गए थे कि हमारी मम्मी की तबीयत खराब है। उसी दिन यह गायब हो गई। बाद में कहा कि हम उस दिन अजय के साथ थे। मुझ पर अपहरण व दुष्कर्म का मुकदमा दर्ज हुआ। मेरा नाम बदनाम किया। मेरा कॅरियर खराब किया। अब मैं कहीं जाता हूं तो लोग शक की निगाह से देखते हैं। अदालत ने ऐतिहासिक फैसला सुनाया है। भले अदालत ने मुझे दोषमुक्त कर दिया है, लेकिन लड़की के झूठे आरोप कभी भी मिटाए नहीं मिट सकेंगे।
पहले बोली अनपढ़ हूं… फिर अंग्रेजी में किए साइन
अदालत में गवाही के दौरान युवती मुकर गई। पहले उसने कहा- वह अनपढ़ है। जैसे ही साइन करने की बारी आई तो उसने इंग्लिश में साइन किए, जो देखकर जज साहब समझ गए… युवती झूठी है। जानबूझकर फंसाना चाहती है। पूरे मामले में झूठी गवाही देने के लिए युवती पर मुकदमा दर्ज किया गया।
‘पुरुषों के हितों पर आघात करने की छूट नहीं’
अदालत ने सख्त रुख अपनाते हुए कहा- इस तरह की महिलाओं के कृत्य से वास्तविक पीड़िताओं को नुकसान उठाना पड़ता है, जो बेहद गंभीर व चिंताजनक है। अपने मकसद की पूर्ति के लिए पुलिस व कोर्ट को माध्यम बनाना आपत्तिजनक है। महिलाओं को पुरुषों के हितों पर आघात करने की छूट नहीं दी जा सकती।