रवीन्द्र भवन में रविवार को दो दिवसीय इंडियन रोड कांग्रेस के सेमीनार का समापन हो गया। इसमें जबलपुर पीडब्ल्यूडी के चीफ इंजीनियर एसके वर्मा ने भारतीय सड़क कांग्रेस (आईआरसी) के महासचिव एसके निर्मल से सड़कों के निर्माण में यूज होने वाले डामर को लेकर सवाल उठाए।
अंतिम सत्र के बाद प्रश्नोत्तर के दौरान पीडब्ल्यूडी जबलपुर के सीई एसके वर्मा ने आईआरसी के महासचिव एसके निर्मल से कहा- डामर की क्वालिटी को लेकर बहुत समस्या है। मुझे कहने में यह अच्छा नहीं लग रहा लेकिन, यह हकीकत है। इसको कैसे कंट्रोल करे? आपने मिनिस्ट्री से सर्कुलर निकाल दिया कि टेस्ट करके ठेकेदार एक्सपोर्ट वाला डामर उपयोग कर सकता है, लेकिन वह टेस्ट नहीं हो पाता, क्योंकि उस टेस्ट के लिए हमारे पास कोई इंस्ट्रूमेंट ही नहीं है।
डामर की बड़ी समस्या
जबलपुर से आए चीफ इंजीनियर -एसके वर्मा ने कहा कि डामर की बहुत बड़ी समस्या है, उसमें बहुत बड़ा रैकेट कम कर रहा है और वह रैकेट इतना बड़ा है कि अगर हम टच करेंगे तो बहुत बड़ी प्रॉब्लम होगी। इसलिए आप मिनिस्ट्री में मंत्री जी गडकरी साहब से बात करके इसमें कुछ सर्कुलर जारी करें कि डामर के ऊपर कंट्रोल हो जाए।
ये हाई लेवल मैटर
चीफ इंजीनियर एसके वर्मा की बात सुनकर इंडियन रोड कांग्रेस महासचिव एसके निर्मल ने कहा- बिटुमिन इम्पोर्ट अलाउड नहीं है, तब ये प्रॉब्लम है। यानी सारा रिफाइनरी बिटुमिन है। 6 महीने पहले सेक्रेटरी ने मीटिंग बुलाई। मैं भी उसमें शामिल हुआ। उसमें रिफाइनरी के चेयरमैन, जनरल मैनेजर और मिनिस्ट्री के एडिशनल सेक्रेटरी भी शामिल हुए थे। उसमें यह बात हुई थी कि क्वालिटी को लेकर शिकायतें आ रही हैं। तो उस मीटिंग में रिफाइनरीज के रिप्रेजेंटेटिव्स का कहना था कि हमारी जिम्मेदारी रिफाइनरी के गेट तक है। गेट के बाहर डामर का क्या हो रहा है। उसकी हमारी जिम्मेदारी नहीं होती। गेट के बाहर जो ठेकेदार हैं। हम आउटसोर्स कर देते हैं।