अब उज्जैन में सिंहस्थ मेला क्षेत्र में 8 से 10 मंजिला हाइराइज बिल्डिंग दिखाई देगी। इसके लिए मास्टर प्लान में नया प्रावधान लागू किया जा रहा है। इसके तहत 18 से 30 मीटर तक ऊंची इमारतों का निर्माण किया जा सकेगा। विशेष अनुमति के तहत बनाए जाने वाली धर्मशाला, मठ व मंदिर आदि का निर्माण इसके तहत हो सकेगा। यह अनुमति जिला प्रशासन द्वारा जारी की जाती है।
पहले सिंहस्थ मेला क्षेत्र में 12 मीटर यानी चार से पांच मंजिला बिल्डिंग निर्माण का ही प्रावधान था, जिसे उज्जैन विकास योजना-2035 में बढ़ाया गया है। यह दूसरा मौका है जब मास्टर प्लान-2035 के लागू होने के बाद संशोधन किया है। नगर तथा ग्राम निवेश अधिनियम-1973 की धारा-23 की उपधारा-2 में सहपठित धारा-18 की उपधारा-1 के उपबंधों के तहत प्रकाशन किया गया है। इसमें एक माह की समयावधि में दावे-आपत्ति बुलाए गए हैं। मास्टर प्लान-2035 के अध्याय-6 की कंडिका 6.14.1 संरक्षित परिक्षेत्र सिंहस्थ मेला क्षेत्र के बिंदु क्रमांक 2 आईवी में प्रस्तावित है। इसमें अधिकतम ऊंचाई मप्र भूमि विकास नियम-2012 के नियम 42 के अनुसार नियंत्रित होगी। 30 मीटर तक ऊंचाई बढ़ाई जाने से ऊंची इमारतों का निर्माण हो सकेगा।
14 करोड़ श्रद्धालु
आने की संभावना
सिंहस्थ, 2028 में 14 करोड़ श्रद्धालु आने का अनुमान है, जिसके तहत सिंहस्थ के कार्यों की प्लानिंग भी की गई है। इसमें मेला क्षेत्र में सिंगल लेन को टू-लेन व टू-लेन को फोरलेन में बदला जा रहा है। सड़कों के अंधे मोड़ को खत्म किया जा रहा है। फोरलेन ब्रिज का निर्माण शिप्रा नदी पर किया जा रहा है।
टीएंडसीपी से मिलेगा बिल्डिंग का नक्शा
नए प्रावधान के तहत बिल्डिंग की ऊंचाई 18 मीटर, 24 मीटर व 30 मीटर तक हो सकेगी। यानी टीएंडसीपी से बिल्डिंग का नक्शा अप्रूव हो सकेगा। इसके तहत मेला क्षेत्र में स्थायी निर्माण हो सकेंगे। इससे सिंहस्थ में अस्थायी निर्माण पर होने वाला खर्च भी बच सकेगा।
एक माह में सुझाव मांगे
सिंहस्थ मेला क्षेत्र में विशेष अनुमति के तहत होने वाले निर्माण कार्यों के लिए अब 18 से 30 मीटर ऊंचाई तक की बिल्डिंग की परमिशन दी जा सकेगी। पहले 12 मीटर तक की अनुमति ही जारी की जाती थी। एक माह की अवधि में दावे-आपत्ति और सुझाव मांगे गए हैं।
- श्रीकांत बनोठ, सह आयुक्त
नगर तथा ग्राम निवेश