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रिमूवल गैंग नहीं पहनेगी सेना जैसी वर्दी…

रिमूवल गैंग को सेना जैसी वर्दी पहनाने का नगर निगम का बचकाना फैसला 24 घंटे भी चल नहीं सका। जनता के भारी विरोध और अपनी किरकिरी होती देख नगर निगम ने गुरुवार शाम यू-टर्न लिया। निगम आयुक्त शिवम वर्मा ने कहा कि वर्दी से सैनिकों की भावना आहत होती है। इसलिए इसमें जरूरी बदलाव किया जाएगा। सेना की वर्दी लागू करते हुए महापौर पुष्य मित्र भार्गव और निगमायुक्त ने तर्क दिया था कि इससे अनुशासन आएगा और अतिक्रमण की कार्रवाई के दौरान होने वाले विवादों से बचा जा सकेगा। कुल 600 रिमूवल कर्मचारियों को नई वर्दी पहना दी गई थी। हालांकि महापौर और निगमायुक्त के यह तर्क काम नहीं कर सके और उन्हें यह फैसला वापस लेना पड़ा। निगम के इस कदम पर कानूनी प्रश्न भी उठने लगे।
वहीं निगम के नेता प्रतिपक्ष चिंटू चौकसे ने निगमायुक्त से 600 वर्दी पर खर्च की गई राशि वसूलने की मांग की है। नेता प्रतिपक्ष की मांग उचित ही लगती है क्योंकि निगम अधिकारियों ने बगैर विचार किए इस प्रकार का फैसला ले लिया और जनता का पैसा खर्च कर दिया। अब इसकी वसूली जिम्मेदार अधिकारियों से ही की जानी चाहिए।

नेता प्रतिपक्ष का कहना है कि करीब दो हजार रुपए प्रति वर्दी खर्च किए गए। बिना सुझाव-सहमति और तार्किक ज्ञान का प्रयोग किए तुरत-फुरत वर्दी सिलवाकर पहना भी दी गई। 24 घंटे के इस दिखावे पर 12 लाख रुपए खर्च किए गए। पहले से निगम की माली हालत ठीक नहीं है, उस पर नागरिकों के टैक्स का पैसा यूं बर्बाद नहीं किया जा सकता। वर्दी पर हुए खर्च को नगर निगम आयुक्त के वेतन से वसूला जाना चाहिए।
वसूली और बदतमीजी के लिए बदनाम है निगम की गैंग : सेना की वर्दी में जब निगम की रिमूवल गैंग दिखाई दी तो सबसे पहले शहर के नागरिकों ने इसका विरोध इंटरनेट मीडिया पर शुरू किया। कहा गया कि वसूली और बदतमीजी के लिए बदनाम निगम की गैंग के सदस्यों को सैनिकों की वर्दी देना सेना के अपमान जैसा है। इस वर्दी को पहनने के बाद इस गैंग की बदतमीजी और बढ़ जाएगी।

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