Hindustanmailnews

भारत में डिजिटलीकरण की अभूतपूर्व भूमिका…………

हम उम्मीद करें कि सरकार अभी भी देश में गरीब वर्ग के 15 करोड़ से अधिक लोगों को बहुआयामी गरीबी से बाहर लाने के लिए गरीबों तक डिजिटलीकरण की सरल पहुंच सुनिश्चित करेगी। डिजिटल आधारित भारत की नई दुनिया में सौ फीसदी विश्वसनीयता बनाए रखने हेतु रणनीतिक प्रयत्न सुनिश्चित किए जाएंगे, साथ ही भारत के आम आदमी की डिजिटल सहभागिता बढ़ाने के लिए गांवों व पिछड़े क्षेत्रों तक डिजिटल साक्षरता सुनिश्चित की जाएगी।
हाल ही में संयुक्त राष्ट्र महासभा के 78वें सत्र के अध्यक्ष डेनिस फ्रांसिस ने कहा कि भारत में गरीबी घटाने में डिजिटलीकरण की अहम् भूमिका है। पिछले दिनों भारत की अधिकारिक यात्रा पर रहे फ्रांसिस ने कहा कि जब से वे भारत से लौटे हैं, उनके मन में अतुल्य भारत की डिजिटल उपलब्धि के बारे में दुनिया को बताने के विचार बार-बार आ रहे हैं। उन्होंने भारत में महसूस किया है कि सिर्फ एक हैंडसेट और डिजिटलीकरण मॉडल के उपयोग से लाखों लोगों को औपचारिक आर्थिक प्रणाली में लाने के लिए भारत के डिजिटलीकरण कार्यक्रम की अभूतपूर्व भूमिका है। उन्होंने कहा कि जहां डिजिटलीकरण से भारत में वित्तीय समावेशन में मदद मिल रही है, वहीं डिजिटलीकरण लागत को कम करने, अर्थव्यवस्था को अधिक कुशल बनाने और सेवाओं को सस्ता करने में भी प्रभावी योगदान दे रहा है। इससे भारतीय अर्थव्यवस्था को अधिक प्रतिस्पर्धी बनाने में मदद मिल रही है। ये सब भारत से ऐसे डिजिटल सबक हैं, जिन्हें अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के साथ साझा किया जा सकता है। गौरतलब है कि पिछले दिनों संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (यूएनडीपी) के द्वारा प्रकाशित रिपोर्ट में भी कहा गया है कि भारत में गरीबी 2015-2016 के मुकाबले 2019-2021 के दौरान 25 फीसदी से घटकर 15 फीसदी आ गई है।
इसमें डिजिटलीकरण की भी अहम् भूमिका है। इतना ही नहीं, विश्व बैंक और अंतर्राष्ट्रीय मुद्राकोष (आईएमएफ) सहित दुनिया के विभिन्न सामाजिक सुरक्षा के वैश्विक संगठनों द्वारा भारत में बहुआयामी गरीबी घटाने के मद्देनजर भारत में लागू डिजिटल व्यवस्था की जोरदार सराहना की गई है। आईएमएफ द्वारा प्रकाशित रिसर्च पेपर में यह भी कहा गया है कि सरकार के प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना (पीएमजीकेएवाई) के तहत 80 करोड़ से अधिक कमजोर वर्ग के लोगों को दिए जा रहे मुफ्त खाद्यान्न ने गरीबों पर मार को कम करने में अहम् भूमिका निभाई है और इससे अत्यधिक गरीबी में भी कमी आई है। यह भी उल्लेखनीय है कि नीति आयोग की तरफ से वैश्विक मान्यता के मापदंडों पर आधारित जो बहुआयामी गरीबी इंडेक्स (एमपीआई) दस्तावेज जारी किया गया है, उसमें कहा गया है कि पिछले नौ वर्षों में भारत में तकरीबन 25 करोड़ लोग बहुआयामी गरीबी के दायरे से बाहर आ गए हैं, लेकिन अभी भी भारत में तकरीबन 15 करोड़ लोग बहुआयामी गरीबी का सामना कर रहे हैं। इस दस्तावेज के मुताबिक सरकार की विभिन्न लोक कल्याणकारी योजनाओं और देश में आम आदमी तक पहुंची डिजिटल सुविधाओं ने बहुआयामी गरीबी कम करने में प्रमुख भूमिका निभाई है। नि:संदेह गरीबी को घटाने और आम आदमी के लाभों से जुड़ा भारत का डिजिटल विकास वैश्विक मंच पर चमक रहा है। 50 करोड़ से अधिक कमजोर वर्ग के लोगों को जनधन खातों के माध्यम से बैंकिंग प्रणाली से जोड़ा गया है। डिजिटलीकरण ने भारत की अर्थव्यवस्था को औपचारिक बनाने में और आधार ने लीकेज को कम करते हुए लाभार्थियों को भुगतान के प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर-डीबीटी) में मदद की है। इन्फोसिस के सह संस्थापक और चेयरमैन नंदन नीलेकणी का भी कहना है कि भारत ने अपने अनोखे डिजिटल सार्वजनिक बुनियादी ढांचे और नई डिजिटल पूंजी के सहारे पिछले 10 साल में वह कर दिखाया, जो पारंपरिक तरीके से काम करने में पांच दशक लग जाते।
भारत में वर्ष-2014 से लागू की गई डीबीटी योजना एक वरदान की तरह दिखाई दे रही है। भारत ने पिछले एक दशक में मजबूत डिजिटल ढांचे से डिजिटलीकरण में एक लंबा सफर तय कर लिया है, जिससे आम आदमी सहित पूरी अर्थव्यवस्था लाभान्वित हो रही है। यदि हम हाल ही में प्रकाशित कुछ अन्य प्रमुख वैश्विक आर्थिक रिपोर्टों को देखें तो पाते हैं कि उनकी अध्ययन रिपोर्टों में दुनिया में तेजी से बढ़ते हुए दिखाई दे रही भारतीय अर्थव्यवस्था में डिजिटल अर्थव्यवस्था को भारत की नई शक्ति बताया गया है। इंडियन काउंसिल फॉर रिसर्च आॅन इंटरनेशनल इकोनॉमिक रिलेशंस (इक्रियर) और वैश्विक उपभोक्ता इंटरनेट समूह प्रोसेस की रिपोर्ट में कहा गया है कि डिजिटल अर्थव्यवस्था की वैश्विक रैंकिंग में अब भारत अमेरिका और चीन के बाद दुनिया के तीसरे नंबर का सबसे बड़ा देश बन गया है। इक्रियर के द्वारा डिजिटल अर्थव्यवस्था पर हुई यह स्टडी कनेक्ट, हार्नेस, इनोवेट, प्रोटेक्ट और सस्टेन जैसे पांच महत्वपूर्ण पैरामीटर्स पर आधारित है। इन पैरामीटर्स पर भारत ने 39.1 स्कोर किया है, जबकि पहले क्रम पर स्थित अमेरिका ने 65.1 और दूसरे क्रम पर स्थित चीन ने 62.3 स्कोर किया है। भारत के बाद ब्रिटेन चौथे और जर्मनी पांचवें क्रम पर है। इस रिपोर्ट को जारी करते हुए नैसकॉम के अध्यक्ष देबजानी घोष ने कहा कि दुनिया अभी भी वास्तव में नहीं समझ पाई है कि प्रौद्योगिकी ने आम आदमी से लेकर सभी वर्गों के भारतीयों के दैनिक जीवन में खुद को कैसे शामिल कर लिया है, जो वास्तविक डिजिटल अर्थव्यवस्था है। एक उभरती अर्थव्यवस्था के रूप में भारत ने डिजिटल युग में छलांग लगा दी है। भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा इंटरनेट नेटवर्क वाला देश है। इसी प्रकार रिजर्व बैंक गर्वनर शक्तिकांत दास ने कहा कि डिजिटल भुगतान में भारत विश्व रैंकिंग में शीर्ष पर है। बीते वर्ष-2023 में देश में कुल डिजिटल भुगतान यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (यूपीआई) की हिस्सेदारी बढ़कर 80 फीसदी के करीब पहुंच गई है। यूपीआई लेन-देन की संख्या महज छह साल में 273 गुना बढ़ी है। वर्ष-2017 में 43 करोड़ यूपीआई लेन-देन हुए थे, वर्ष-2023 में इनकी संख्या बढकर 11761 करोड़ हो गई।
नि:संदेह भारत में यूपीआई ने भुगतान क्षेत्र में क्रांति ला दी है। यह कोई छोटी बात नहीं है कि भारत में डिजिटल प्रौद्योगिकी को न केवल युवा अपना रहे हैं, बल्कि बुजुर्ग और गरीब वर्ग के लोग भी इसमें पीछे नहीं हैं। जी-20 की अध्यक्षता के दौरान भारत को सार्वजनिक सेवाओं की बड़े पैमाने पर डिलीवरी के लिए डिजिटल सार्वजनिक बुनियादी ढांचे का उपयोग करने के चैंपियन के रूप में मान्यता दी गई थी। छोटे उद्योग-कारोबार के लिए सरल ऋण और रोजगार सृजन आम आदमी के बीमा और अन्य जनकल्याण योजनाओं के लिए डिजिटल ढांचे का सफल उपयोग किया जा रहा है। इससे समाज के करोड़ों लोग लाभान्वित हो रहे हैं। हम उम्मीद करें कि सरकार अभी भी देश में गरीब वर्ग के 15 करोड़ से अधिक लोगों को बहुआयामी गरीबी से बाहर लाने के लिए गरीबों तक डिजिटलीकरण की सरल पहुंच सुनिश्चित करेगी। डिजिटल आधारित भारत की नई दुनिया में सौ फीसदी विश्वसनीयता बनाए रखने हेतु रणनीतिक प्रयत्न सुनिश्चित किए जाएंगे, साथ ही भारत के आम आदमी की डिजिटल सहभागिता बढ़ाने के लिए गांवों व पिछड़े क्षेत्रों तक डिजिटल साक्षरता, सरल डिजिटल कौशल प्रशिक्षण, सस्ते स्मार्टफोन, इंटरनेट की निर्बाध कनेक्टिविटी और बिजली की सरल आपूर्ति जैसी जरूरी व्यवस्थाएं सुनिश्चित की जाएंगी। इससे भारत वर्ष-2027 तक आम आदमी की मुस्कराहट बढ़ाते हुए दुनिया की तीसरी बड़ी अर्थव्यवस्था तथा वर्ष-2047 तक विकसित अर्थव्यवस्था बनने की डगर पर तेजी से आगे बढ़ते हुए दिखाई दे सकेगा।

Scroll to Top
Verified by MonsterInsights