हिन्दुस्तान मेल, भोपाल
प्रॉमिसिंग ट्रैवल टाइम और स्पीड को लेकर वंदे भारत उतनी खरी नहीं उतर पाई है, जितनी बात की गई थी। इसका मुख्य कारण है- ट्रेन के ट्रैक्स का अपग्रेड नहीं होना, क्योंकि ट्रेन तो 160 किमी प्रतिघंटा पर चलने के लिए काबिल है। मगर, ट्रैक अपग्रेड नहीं हैं।
यह बात चेन्नई स्थित इंटीग्रेटेड कोच फैक्ट्री के पूर्व जीएम और वंदे भारत के क्रिएटर कहे जाने वाले सुधांशु मणि ने कही। वे गुरुवार को एलएनसीटी स्थित आॅल इंडिया मैनेजमेंट एसोसिएशन और भोपाल मैनेजमेंट एसोसिएशन के कार्यक्रम में हिस्सा लेने भोपाल पहुंचे। उन्होंने वंदे भारत को लेकर बात की। उन्होंने बताया कि इसके लिए कई सेफ्टी फीचर जैसे फेंसिंग व कवच जरूरी हैं। सरकार को जल्द ट्रैक अपग्रेड करने चाहिए, जिससे ट्रैवल टाइम कट डाउन यानी कम हो सके। यात्रियों को बेहतर अनुभव मिल सके। बता दें कि सुधांशु मणि ही भारत में वंदे भारत ट्रेनों के जनक माने जाते हैं।
भारतीय रेलवे के कामयाब मैकेनिकल अफसरों में से एक सुधांशु मणि ने इंटीग्रेटेड कोच फैक्ट्री चेन्नई में जीएम हैं। वे वंदे भारत के डिजाइनर भी हैं।
स्लीपर वंदे भारत की सुविधा अगस्त-सितंबर तक
सुधांशु मणि कहते हैं कि स्लीपर वंदे भारत की सुविधा अगले चार महीने में मिल सकती है। उन्होंने बताया कि मैं शुरू से कहता आया हूं कि इसमें स्लीपर भी जरूरी है। इससे आप लंबी दूरी आसानी से तय कर सकते हैं। जैसे दिल्ली- मुम्बई-हावड़ा आदि जैसे डिस्टेंस को ओवर नाइट पूरा किया जा सके। साथ ही, इससे यात्रियों का ट्रैवल टाइम कम हो सकेगा। अभी तक तो स्लीपर वंदे भारत आ जानी चाहिए थी। मगर, इसमें काफी देर हो गई है। किराए के बारे में उन्होंने कहा कि आप ट्रैवल टाइम 2 से 2:30 घंटे कम कीजिए। लीजिए, किराया कितना ले सकते हैं।
अगले चार साल में 300 से अधिक वंदे भारत दौड़ती नजर आएंगी
वंदे भारत में आम आदमी कभी सफर कर पाएगा, इस सवाल के जवाब में सुधांशु कहते हैं कि विकसित भारत का यही गोल है कि जनरल क्लास में पैसेंजर बिना डिग्निटी और कंफर्ट के चलते हैं, उनकी तरफ ध्यान देना होगा। मैं तो इस बात को हमेशा कहता हूं और एक्सेप्ट भी करता हूं कि हर ट्रेन एयर कंडीशन्ड होनी चाहिए। यह भारतीय रेलवे की जिम्मेदारी भी है। इसके बिना विकसित भारत का सपना पूरा नहीं हो पाएगा। वहीं, उन्होंने इसकी कमियां और खूबियों के बारे में कहा कि यह तो चलती रहेंगी। कमियों को बस ठीक करते रहना है। प्रधानमंत्री ने इस ट्रेन को बहुत इंक-रेज किया है। इससे पैसेंजर्स सेगमेंट की शक्ल बदली है। मुझे लगता है कि अगले चार साल में करीब 300 -400 वंदे भारत ट्रेन दौड़ती नजर आएंगी।
केबल के कारण
लगी थी आग
वंदे भारत में आग को लेकर सुधांशु मणि कहते हैं कि इस बारे में पढ़ा था। बाद में पता चला कि केबल के कारण आग लगी थी। हालांकि यह इतना सीरियस मसला नहीं हैं। देशभर में 60 से 65 वंदे भारत ट्रेनें चल रही हैं। इस पर ज्यादा ध्यान नहीं देना चाहिए। बता दें कि ट्रेन नंबर 20171 वंदे भारत में करीब 10 महीने पहले रानी कमलापति से निजामुद्दीन जा रही ट्रेन के सी-14 कोच में आग लग गई थी। आग कोच के नीचे लगे बैटरी बॉक्स में लगी थी।