हिन्दुस्तान मेल, भोपाल
मेरी कोई खरीद-फरोख्त नहीं की गई। मुझे किसी राजनेता और बिजनेस मैन से संबंध बनाने को मजबूर नहीं किया गया। मेरा किसी ने भी शोषण नहीं किया है।
यह बयान कोर्ट में उस युवती ने दिए हैं जिसे मप्र के बहुचर्चित हनी ट्रैप केस से जुड़े मानव तस्करी के प्रकरण का पीड़ित बताया जा रहा था। इस मामले की विवेचना सीआईडी भोपाल ने की थी।
केस में तीन आरोपी अभिषेक ठाकुर, आरती दयाल और श्वेता जैन सोमवार को न्यायालय से बरी कर दिए गए हैं। कोर्ट ने आदेश में लिखा कि खरीद फरोख्त के आरोपों से पीड़िता ने इनकार किया है। जिन पर शोषण का आरोप लगा, उन्हें पुलिस ने आरोपी ही नहीं बनाया। लिहाजा पीड़िता के साथ शोषण नहीं हुआ उसकी खरीद-फरोख्त नहीं हुई तो यह मानव तस्करी कैसे हो सकती है।
न्यायिक हिरासत में दिए थे अलग बयान
इस मामले में गवाही के दौरान फरियादी जो कि खुद भी हनी ट्रैप केस में आरोपी है, उसकी उज्जैन जेल से भोपाल में बुलाकर कोर्ट ने गवाही ली थी। तब फरियादी ने सभी आरोपियों के खिलाफ कथन दिए थे और कहा था कि इन सभी ने मिलकर उसका महत्वपूर्ण लोगों का राजनेताओं से शोषण करवाया है।
हनी ट्रैप केस में फरियादी की जब जमानत हो गई, जमानत के बाद उसने कोर्ट में आकर फिर बयान दिए कि उसके साथ किसी ने कोई शोषण नहीं किया है। सभी गवाहों के कथन लेख करने के बाद अपर सत्र न्यायाधीश पल्लवी द्विवेदी ने सभी आरोपियों को दोष मुक्त कर दिया है। आदेश में साफ लिखा है कि युवती को शोषण का शिकार बताया जा रहा है। जबकि पुलिस ने ऐसे किसी व्यक्ति को आरोपी नहीं बनाया जिसने उसका शोषण किया हो।
इन धाराओं के तहत चला
था केस का ट्रायल
सीआईडी भोपाल द्वारा अपराध क्रमांक 02/2019 अंतर्गत धारा 370, 370ए, 120 बी भादवि का पंजीबद्ध किया गया था। जिसमें सीआईडी ने अभिषेक सिंह ठाकुर, श्वेता जैन, आरती को आरोपी बनाया था।
चालान एक नजर में
सीआईडी ने 27 दिसंबर 2019 को हनी ट्रैप से जुड़े मानव तस्करी के मामले में तीन के खिलाफ चालान पेश किया। पीड़िता के साथ 11 गवाहों की सूची पेश की। सीआईडी को फरियादी ने 7 पेज का बयान सबूत के तौर पर दिया। इसमें उसने सिर्फ एक बार श्वेता का जिक्र किया कि उसे श्वेता जैन ने बताया था कि उसके और आरती दयाल के संपर्क और भी बड़े लोगों से है।