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पीएम के बाद गृह मंत्री बने शिकार, सचिन तेंदुलकर, अमीर खान, रणवीर सिंह की भी हो चुकी है नकल

दिसंबर 2023 में आयोजित एक शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि डीपफेक पूरी दुनिया के लिए चुनौती है। जानबूझकर झूठ फैलाने के लिए इसका इस्तेमाल किया जा सकता है। ये बात लोकसभा चुनाव 2024 में सच साबित हो रही है। इसका बड़ा शिकार बने गृहमंत्री अमित शाह। आरक्षण को लेकर जिनकी वीडियो ने ऐसा नकारात्मक माहौल बनाया कि संघ प्रमुख मोहन भागवत को सफाई देना पड़ी।
गृहमंत्रालय की शिकायत पर दिल्ली पुलिस ने केस दर्ज करके पहली गिरफ्तारी असम से की। जहां रीतोम सिंह गिरफ्तार किए गए। जो कि कांग्रेस और आम आदमी पार्टी से जुडा है। अहमदाबाद साइबर क्राइम पुलिस ने भी दो लोगों को गिरफ्तार किया है। इसमें एक कांग्रेस विधायक जिग्नेश मेवाणी का पीए और दूसरा आम आदमी पार्टी का कार्यकर्ता है। जम्मू कश्मीर में बडगाम के मागम में एक शख्स के खिलाफ केस दर्ज हुआ है। इससे पहले भिनेता आमिर खान और रणवीर सिंह भी फर्जी वीडियो का शिकार हो चुके हैं। वीडियो में दोनों वोट मांगते हुए नजर आए थे।
75 फीसदी लोगों के पास
पहुंचा है फेक कंटेंट
आॅनलाइन सिक्योरिटी फर्म टूअी की रिपोर्ट के अनुसार 12 महीनों में 75 फीसदी भारतीय किसी न किसी रूप में डीपफेक वीडियो-फोटो के संपर्क में आए हैं। हर चार में से एक भारतीय को राजनीतिक डीपफेक मिली है। 22 फीसदी लोगों ने कहा उनके पास किसी नेता का डीपफेक वाला वीडियो, आॅडियो पहुंचा है, जिसे एक बार तो वो असली ही समझ बैठे। मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट आॅफ टेक्नोलॉजी की एक रिसर्च मानती है कि सच्ची खबर की तुलना में झूठी खबर 70 फीसदी ज्यादा शेयर होने की आशंका रहती है। इसीलिए चुनाव में झूठ फैलाने वालों के खिलाफ कई राज्यों में एक्शन जारी है।
क्या है डीपफेक, कब हुआ इसका पहली बार इस्तेमाल?
डीपफेक अंग्रेजी के दो शब्दों से बना है। पहला, डीप और दूसरा फेक। डीप लर्निंग में सबसे पहले नई तकनीकों खास कर जीएएन की स्टडी जरूरी है। जीएएन में दो नेटवर्क होते हैं, जिसमें एक जेनरेट यानी नई चीजें प्रोड्यूस करता है, जबकि दूसरा दोनों के बीच के फर्क का पता करता है। इसके बाद इन दोनों की मदद से एक ऐसा सिंथेटिक यानी बनावटी डेटा जेनरेट किया जाता है, जो असल से काफी हद तक मिलता जुलता हो, तो वही डीप फेक होता है।
सकारात्मक उपयोग
डीपफेक का नकारात्मक ही नहीं, सकारात्मक उपयोग होता है। उदाहरण के लिए फिल्म फास्ट एंड फ्यूरियस को देख सकते हैं। उसमें लीड एक्टर पॉल वॉटर की जगह उनके भाई ने भूमिका निभाई थी, क्योंकि शूट के बीच में ही उनकी मौत हो गई थी। डीपफेक तकनीक के जरिए उनको हूबहू पॉल वॉटर बना दिया गया। यहां तक कि उनकी आवाज भी पॉल जैसी हो गई।

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