मंगलवार को वाराणसी से नामांकन पत्र दाखिल किया। इस दौरान पीएम मोदी खड़े थे, जबकि रिटर्निंग आॅफिसर (कलेक्टर) बैठे हुए थे। ऐसे में हर व्यक्ति के दिमाग में एक सवाल था कि क्या रिटर्निंग अधिकारी पीएम से बड़ा होता है। यदि नहीं तो फिर पीएम के सामने खड़ा क्यों नहीं हुआ।
पीएम मोदी जब नामांकन दाखिल करने पहुंचे, तब उनके साथ गृहमंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और सीएम योगी आदित्यनाथ समेत तमाम बड़े नेता भी मौजूद रहे। तस्वीर पर गौर किया कि नामांकन पत्र दाखिल करते वक्त पीएम मोदी तो खड़े थे, लेकिन रिटर्निंग आॅफिसर कुर्सी पर ही बैठे रहे। हालांकि, सिर्फ पीएम मोदी ही नहीं, बल्कि कोई भी उम्मीदवार हो, रिटर्निंग आॅफिसर बैठे ही रहते हैं। दरअसल, ये एक प्रोटोकॉल होता है। नामांकन करने कितना ही बड़ा नेता क्यों न आ जाए, उनके सम्मान में रिटर्निंग आॅफिसर खड़ा नहीं हो सकता।
खड़े क्यों नहीं होते रिटर्निंग आॅफिसर?- चुनाव के दौरान रिटर्निंग आॅफिसर उस जिले का मुख्य चुनाव अधिकारी होता है। और कोई भी व्यक्ति एक उम्मीदवार की हैसियत से नामांकन करने आया होता है, फिर चाहे वो प्रधानमंत्री ही क्यों न हों, इसलिए रिटर्निंग आॅफिसर बैठे रहते हैं। रिटर्निंग आॅफिसर एकमात्र लीगल अथॉरिटी होता है और उनपर कोई भी आदेश नहीं चला सकता। प्रोटोकॉल के कारण नामांकन प्रक्रिया के दौरान रिटर्निंग आॅफिसर अपनी कुर्सी पर बैठे रहते हैं। ये ठीक उसी तरह होता है जैसा अदालतों में होता है। अदालत में बड़े नेता या मंत्री की पेशी क्यों न हो, जज अपनी कुर्सी से खड़े नहीं होते। वैसे ही रिटर्निंग आॅफिसर भी नामांकन के समय कभी खड़े नहीं होते।