Hindustanmailnews

सतवास के जयंति माता मंदिर के पास 12 महीने बहता है झरना

गर्मी में बोरिंग-कुए यहां तक की कई तालाब सूख चुके हैं लेकिन जयंति माता मंदिर के पास बहने वाला झरना झर रहा है। झरने से झरते पानी की आवाज और उसके पीछे की गुफा श्रृद्धालुओं को आकर्षित करती है। हम बात कर रहे हैं देवास और खंडवा जिलों के मध्य घने जंगलों के बीच स्थित जयंती माता का मंदिर सिद्ध और जागृत स्थान है। जिसे बाणासुर की तपस्थली भी कहा जाता है।
नर्मदा के उत्तर तट पर विंध्याचल की सघन पहाड़ियों के बीच स्थित जयंती माता का प्राचीन मंदिर आस्था का केंद्र बना हुआ है। घने जंगल के बीच स्थित इस मंदिर में दर्शन करने के लिए दूर-दूर से श्रद्धालु पहुंच रहे हैं। मंदिर से थोड़ी दूरी पर आकर्षक झरना बहता है। झरने के अंदर ही भैरव बाबा का मंदिर है। यह झरना गर्मी के मौसम में भी बहता रहता है। बहते झरने के पीछे एक गुफा भी है। झरना पार कर गुफा में बैठा जा सकता है। पर्यटक इस गुफा में बैठकर भी झरने से आने वाली ठंडी हवा में सुकून पाते हैं। चेतन गिरी महाराज ने बताया आदि शक्ति की जिव्हा गिरी थी इसलिए यहां स्वयम्भू माता की प्रतिमा भी जिव्हा स्वरूप में विराजित है। बताते है की यहां माता स्वयं प्रकट हुई। पहले यहां माता की प्रतिमा एक छोटी कुटिया में विराजित थी। बाद में इसे मंदिर का स्वरूप दिया गया। चेत्र की नवरात्री में यहां मेल लगा है जो पूरे नौ दिनो तक चलेगा। भंडारा चल रहा है। उपवास वालो के लिये फरीयाली भोजन भी रहता है। नवमी पर इस मंदिर में अधिक भीड़ होती है। मान्यता है कि यहां लोहे की जाली में प्लास्टिक की पन्नी और नाड़ा बाँधने से माताजी भक्तों की मनोकामना पूर्ण करती है।
मनाई जाती है चारों नवरात्रि- माता जी की प्रतिमा पर प्रति मंगलवार को सिंदूर चढ़ाया जाता है। इस मंदिर में वर्ष में चार नवरात्रि मनाई जाती है. चैत्र, अश्विन के साथ दो गुप्त नवरात्रि। नवरात्रि उत्सव में खंडवा, खरगोन, देवास और इंदौर जिले के श्रद्धालु पूरे 9 दिनों तक हवन एवं अनुष्ठान देवी पाठ करते है। गुप्त नवरात्री में सिर्फ हवन और पाठ होते हैं। जिसमे विशेष आराधना होती है।
15 साल से सतत चल रहा है यज्ञ- पंडित संतोष कुमार खले बताते हैं चांदगढ़ के राजा तखतसिंह के गुलाब सिंह और अर्जुनसिंह दो बेटे थे। अर्जुन सिंह ने वासुदेव को दत्तक पुत्र लिया था। जिन्हें वासुदेव सोलंकी के रूप में जानते हैं। यही मंदिर की देखरेख करते हैं। माता राजपरिवार की कुलदेवी है। इसे सिद्धक्षेद्ध बनाने के लिए 15 साल से हवन चल रहा है।

Scroll to Top
Verified by MonsterInsights