नगर निगम के ड्रेनेज विभाग में हुए 28 करोड़ 76 लाख रुपए के फर्जी बिल घोटाले की नगर निगम स्तर पर जांच शुरू हो गई है। उच्च स्तरीय समिति द्वारा फर्मों के अलावा कुछ अफसर व कर्मचारियों की भी जांच की जा रही है। जांच के तहत पूछताछ किए जाने के साथ दस्तावेजों को भी खंगाला जा रहा है। जांच के दौरान कुछ महत्वपूर्ण सुराग हाथ लगे है।
फजीर्वाड़े से जुड़ी कई फाइल व बिलों को समिति ने अपने कब्जे में ले लिया है। जांच के चलते फर्मों के खातों को सील कर उन्हें ब्लेक लिस्ट कर दिया गया है। निगमायुक्त शिवम वर्मा ने समिति को 15 दिनों में जांच पूरी कर प्रतिवेदन सौंपने को कहा है।
उल्लेखनीय है कि ड्रेनेज विभाग के तहत 5 फर्मों द्वारा बिना काम के फर्जी बिल तैयार कर लेखा विभाग में भुगतान के लिए प्रस्तुत किए गए थे। इन 5 फर्म जिनमें मेसर्स नींव कंस्ट्रक्शन प्रोयरायटर मोहम्मद साजिद, मेसर्स ग्रीन कंस्ट्रक्शन प्रोयरायटर मोहम्मद सिदिकी, मेसर्स किंग कंस्ट्रक्शन प्रोपरायटर मो. जाकिर, मेसर्स क्षितिज इंटरप्राइजेस प्रोपरायटर रेणु वडेरा एवं मेसर्स जहान्वी इंटरप्राइजेस प्रोपरायटर राहुल वडेरा शरीक है।
इन फर्मो द्वारा 28 करोड़ से ज्यादा के 20 पे आॅर्डर आॅडिट के पश्चात लेखा शाखा में प्रस्तुत किये गये थे। लेखा शाखा में प्राप्त उक्त पे आॅर्डर की प्रारंभिक जांच करने पर उक्त पे आॅर्डर में अधिक राशि के होने एवं मात्र 5 फर्म के होने से देयको के संबंध में शंका उत्पन्न हुई। उक्त प्रकरण की प्रथम दृष्टया जांच में प्रकरण फर्जी हस्ताक्षर एवं कुटरचित दस्तावेज के आधार पर तैयार किया जाना पाया गया था।
अन्य नगरीय निकाय भी जांच के दायरे में- इंदौर नगर निगम फर्जी बिल कांड सामने आने के बाद प्रदेश के अन्य नगरीय निकायों में हुए कार्य भी जांच के दायरे में आ गए हैं।
नगरीय प्रशासन मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने प्रमुख सचिव को जांच के लिए कहा है। इन निकायों में पिछले पांच वर्षों में विभिन्न प्रोजेक्ट के तहत हुए विकास कार्यों और उनके एवज में किए गए भुगतान की जांच की जाएगी।