नारदजी ने ब्रह्माजी से कहा कि पिताजी आप मुझे शिवपुराण की जो कथा सुना रहे हैं उसमें मेरा मन लग गया है। मेरा एक सवाल है कि आखिर यह संसार कैसे बना? आप पहले आए या महादेव? आखिर संसार की शुरूआत हुई कहां से? वास्तव में देखा जाए तो यह प्रश्न तब भी था, आज भी है। इस संसार को बनाने की जरूरत क्या थी परमात्मा को। एक गीत के बोल भी हैं ‘क्या तेरे मन में समाई… काहे को दुनिया बनाई…।’ तो संसार क्या है। पहले गांव में पहली बरसात में बच्चे छोटे-छोटे घर बनाते थे। शाम तक खेलते थे। जाते-जाते घर तोड़ जाते थे। परमात्मा के लिए संसार खिलौना है। जब उनकी इच्छा होती है तब बनाते हैं। जब चाहते हैं मिटाते हैं। यह अनुभव करने का विषय है। जहां भजन-पूजन का साधन होना चाहिए उन स्थानों को लोग पिकनिक स्पॉट बनाकर बैठ गए। इसीलिए प्रकृति फिर कैदारनाथ की तरह प्रलय दिखाती है। कई भागे। हजारों काल का ग्रास बन गए। भगवान के लिए यह सब करना बड़ी बात नहीं है। खेल जैसा है। भगवान है, इसका सबूत है केदारनाथ मंदिर के पीछे आकर टिकी शिला। जिसकी वजह से भयावह बाढ़ में भी केदारमंदिर को कुछ नहीं हुआ। ये शिव तत्व है। जो ब्रह्माड में व्याप्त है।