हिन्दुस्तान मेल, भोपाल/मंडीदीप
अपनी ऐतिहासिक और पुरातात्विक धरोहरों को लेकर पिछले कुछ समय में भोपाल और आसपास जीर्णोद्धार व संरक्षण का काम मिशन मोड पर हुआ है। नतीजा ये हुआ है कि कई धरोहरों की चमक और उम्र बढ़ गई है। भोपाल के पास आशापुरी में सूर्य मंदिर को इस तरह बनाया गया है कि इसके अगले 1 हजार साल तक बने रहने का दावा है, वहीं गिन्नौरगढ़ के किले को भी संरक्षित कर इसकी उम्र 100 साल बढ़ा दी गई है।
सूर्य मंदिर का लौटा
पुराना वैभव
खासियत : 1300 साल पुराना मंदिर। राज्य पुरातत्व विभाग ने आशापुरी में सूर्य मंदिर का पुनर्निर्माण कराया है। इसमेंं 25 लाख का खर्च हुआ। पुनर्निर्माण में साइट से ही निकले पुराने मंदिरों के अवशेषों का उपयोग किया गया है। सिर्फ 2 फीसदी नए पत्थरों का उपयोग किया है, जो बांसवाड़ा से लाए गए। निर्माण में सीमेंट व लोहे का उपयोग नहीं हुआ। इनके स्थान पर दरार और छिद्रों को भरने के लिए चूना-सीमेंट के साथ अन्य चीजों का मसाला मिलाया गया है। मजबूती के लिए लोहे के क्लैंप लगाए हैं। यह मंदिर 1000 साल तक टिका रहेगा।
इतिहास : पुरातत्व अधिकारी डॉ. रमेश यादव बताते हैं- परमार काल में करीब 1300 साल पहले कई मंदिरों का निर्माण हुआ था। उन्हीं में यह सूर्य मंदिर भी था। वर्ष-2010 की खुदाई में इसके अवशेष मिले थे। इसे 16 फीट लंबा,12 फीट चौड़ा और 21 फीट ऊंचा बनाया गया है।
खासियत : इंडियन नेशनल ट्रस्ट फॉर आर्ट एंड कल्चरल हेरिटेज (इंटेक) भोपाल ने रातापानी अभयारण्य में गोंड साम्राज्य के गिन्नौरगढ़ किले को संवारा है। इससे इसकी उम्र करीब 100 साल बढ़ गई है। इंटेक के कंवीनर मदन मोहन उपाध्याय ने बताया कि किले में 7 मंजिल ऊंचा रानी कमलापति महल, हवा महल व अनूठी दुर्ग संरचना आकर्षण का केंद्र है।
मोती महल बनेगा सिटी म्यूजियम, काम शुरू… सदर मंजिल के सामने स्थित मोती महल का काम दो साल में पूरा होगा। पहले चरण में 24 करोड़ खर्च किए जा रहे हैं। यह महल भी 1868 के आसपास बना है। मप्र टूरिज्म के अभिषेक गौड़ ने बताया कि यहां सिटी म्यूजियम बनेगा। इसमें भोपाल के इतिहास से संबंधित गैलेरी बनाई जाएगी।