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मतदान से पहले ही ‘बम’ विस्फोट

तमाम नेताओं की ना-नुकुर के बाद कांग्रेस ने जिस अक्षय कांति बम को इंदौर से प्रत्याशी बनाया था, उन्होंने आखिरी दिन अपना नामांकन वापस लेकर पार्टी को करारा झटका दिया है। चौंकाने वाली बात यह है कि जब बम नाम वापस लेने गए तो उनके साथ इंदौर-2 के विधायक व भाजपा के कद्दावर नेता रमेश मेंदोला भी साथ थे। इससे स्पष्ट है कि बम ने भाजपा नेताओं के कहने पर ही नाम वापस लिया है। इससे पहले कांग्रेस नेता मोती सिंह ने डमी नाम भरा था, लेकिन उनका फॉर्म भी रिजेक्ट हो चुका है।
24 अप्रैल को वरिष्ठ कांग्रेस नेता विवेक तन्खा और प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी की मौजूदगी में बम ने अपना नामांकन फॉर्म दाखिल किया था। सोमवार को नाम वापसी का आखिरी दिन है। इससे पहले रविवार को फॉर्मों की समीक्षा हुई। इसमें कांग्रेस से लीलाधर और मोती सिंह के फॉर्म रिजेक्ट के साथ ही दो निर्दलियों के फॉर्म रिजेक्ट हो गए थे। सोमवार को रही-सही कसर बम ने विधायक मेंदोला और एमआईसी सदस्य जीतू यादव की मौजूदगी में अपना नाम वापस लिया। बाद में दोनों के साथ निकले और एक बार में बैठे, जिसमें आगे की सीट पर वरिष्ठ भाजपा नेता व प्रदेश के मंत्री कैलाश विजयवर्गीय बैठे हुए थे। विजयवर्गीय ने यह तस्वीर स्वयं सोशल मीडिया पर पोस्ट की।
22 उम्मीदवार मैदान में हंै- कुल 33 नामांकन दाखिल हुए थे। चार रिजेक्ट हो चुके हैं। बम ने अपना नामांकन वापस ले लिया। उन्होंने कुल तीन फॉर्म दाखिल किए थे। इसी तरह शंकर लालवानी के भी तीन फॉर्म हैं। दोपहर 12 बजे तक बसपा के संजय सोलंकी सहित 22 उम्मीदवार मैदान में हैं।

बम ने नहीं, कांग्रेस ने दिया धोखा…
अक्षय कांति बम का नाम वापस कराकर भाजपा नेताओं ने इंदौर संसदीय क्षेत्र के लोकसभा चुनाव को एकतरफा कर दिया है। आलाकमान से जिसका इनाम विजयवर्गीय और उनकी टीम को भविष्य में मिलना तय है। बम की नाम वापसी को कुछ सियासी समीक्षक प्रजातंत्र की हत्या बता रहे हैं। बात सही भी है, लेकिन हत्या तो तब ही हो चुकी थी, जब इंदौर जैसी अहम् लोकसभा सीट के लिए कांग्रेस के तमाम नेताओं ने चुनाव लड़ने से मना कर दिया था। ऐसे में प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी की सिफारिश पर कांग्रेस को बम जैसे शिक्षाविद् पर दांव खेलना पड़ा, जो कुछ दिन पहले ही कांग्रेस में आए थे। टिकट मिलने के बाद से ही बम असहज थे। दूसरी तरफ भाजपा 8.5 लाख से अधिक वोटों से जीत का अनुमान लगाकर बैठी थी… हार तय है… बम को पहले दिन से पता था, फिर भी उन्होंने दम दिखाया, लेकिन कांग्रेस के नेताओं ने ही उनका साथ नहीं दिया…! ऐसे में सूरत में निर्विरोध जीत और खजुराहो में प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा के सामने खारिज हुए ‘इंडिया’ गठबंधन से सपा उम्मीदवार का नामांकन निरस्त होने से भाजपा को नया रास्ता मिल गया था। जीत का इतिहास बनाने के बजाय भाजपा नेता बम को अपने पाले में ही ले आए।

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