भोपाल में सीसीबीआई के विशेष न्यायाधीश नीतिराज सिंह सिसोदिया ने वर्ष-2008 एवं 2009 में व्यापमं द्वारा आयोजित पीएमटी परीक्षा घोटाला मामले के आरोपी अनिल चौहान, प्रशांत मेश्राम, अजय टेगर, हरिकिशन जाटव, शिवशंकर प्रसाद, अमित बड़ोले और सुलवंत मौर्ये को दोषी करार देते हुए 7 वर्ष के सश्रम कारावास और 10-10 हजार रुपए के अर्थदण्ड की सजा सुनाई है।
आरोपियों ने प्रतिरूपकों को बैठाया था एग्जाम में
वर्ष-2008 एवं 2009 में व्यापमं ने पीएमटी परीक्षा का आयोजन किया था। आरोपियों ने अपने स्थान पर प्रतिरूपकों को परीक्षा में बैठाकर परीक्षा पास कर गांधी मेडिकल कॉलेज भोपाल में प्रवेश लिया था। आरोपियों के उक्त परीक्षा में अनुचित रूप से चयन होने की शिकायत प्राप्त होने पर एसटीएफ ने परीक्षा की ओएमआर शीट, रासा शीट, सिटिंग प्लान, पीएमटी परीक्षा में चयन, मेडिकल सीट अलॉटमेंट, मेडिकल कॉलेज में प्रवेश संबंधी दस्तावेज जब्तकर जांच की तो पाया था… ओएमआर शीट एवं रासा शीट पर आरोपियों के अंगूठा निशानी और हस्ताक्षर अलग-अलग व्यक्तियों के हैं।
कार्रवाई के लिए
लिखा था पत्र
राज्यसभा सदस्य दिग्विजय सिंह द्वारा 6 अक्टूबर, 2014 को एसटीएफ के तत्कालीन अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक सुधीरकुमार शाही को पत्र लिखा गया था।
इस पत्र के आधार पर एसटीएफ ने मामले की जांच कर आरोपियों के खिलाफ पीएमटी परीक्षा घोटाला के मामले 13 साल के बाद वर्ष-2022 में भारतीय दण्ड संहिता की धारा- 419, 420, 467, 468, 471, 120 बी एवं मप्र मान्यता पात्रता परीक्षा अधिनियम 1937 की धारा-3 घ (1 ) सहपठित धारा-2 के तहत मुकदमा दर्ज कर सीबीआई की विशेष अदालत में अभियोग पत्र दायर किया गया था।