इस बार सिंहस्थ-2028 के पहले सिंहस्थ क्षेत्र की जमीन पर सड़कें, धर्मशाला, आश्रम, अस्पताल, ड्रेनेज आदि का स्थायी निर्माण करने की योजना है, ताकि हर बार अस्थायी तैयारी के लिए होने वाला खर्च बच सके। इसके अलावा यह निर्माण उज्जैन में लगातार हो रहे बड़े आयोजनों में काम आ सके। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने बताया कि संतों की सहमति से ही सारे विकास कार्य किए जाएंगे। सिंहस्थ क्षेत्र का विकास हरिद्वार की तर्ज पर किया जाएगा। संतों के आश्रम, धर्मशालाएं, अस्पताल, स्कूल, कॉलेजों जैसे निमार्णों की अनुमतियां दी जा सकती हैं। हालांकि इसके लिए सभी संतों को बैठाकर सहमति बनाई जाएगी।
सरकार बनते ही मुख्यमंत्री ने उज्जैन में मीटिंग लेकर अफसरों को सिंहस्थ की योजना बनाने के निर्देश दिए थे। उज्जैन में सबसे बड़ा मुद्दा सिंहस्थ जमीन पर अतिक्रमण और अवैध कॉलोनियां बसते जाने को लेकर रहा है। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि इस बार सिंहस्थ की योजना इस तरह बनाना चाहते हैं कि बहुत सारे अस्थायी निर्माण (टेंट सिटी) की जगह जहां संभव हो, वहां स्थायी निर्माण किए जाएं। इसके पहले मुख्यमंत्री ने अफसरों से कहा था कि अब हर दिन दो से ढाई लाख लोग उज्जैन आ ही रहे हैं।
अब सिंहस्थ 12 साल में लगने वाला मेला नहीं रहा, बल्कि उज्जैन में तो अब हर रोज, और हर साल सिंहस्थ है। आगे योजना भी यही है कि यहां लगातार इसी स्तर के आध्यात्मिक व धार्मिक कार्यक्रम चलते रहें। इसके लिए हमें स्थायी इंफ्रास्ट्रक्चर की जरूरत है। अभी तो पार्किंग तक पर्याप्त नहीं हैं। योजना में मूल ध्यान रखने के लिए कहा कि ऐसी तैयारी करना चाहिए कि हर साल भी सिंहस्थ जैसा आयोजन हो और इतनी ही संख्या में श्रद्धालु आएं तो भी किसी को परेशानी नहीं हो।
संतों की बैठक बुलाकर करेंगे चर्चा- अभी इस बारे में योजना और नियम बनाए जा रहे हैं। जल्दी ही संतों की बैठकें बुलाकर सहमति ली जाएगी। सभी संतों की सहमति के बाद आश्रम, अस्पताल और धर्मशालाओं के निर्माण की अनुमति मिल सकेगी। इसके अलावा सड़कों, नालियां, ड्रेनेज, बिजली और पक्के टॉयलेट आदि का निर्माण सरकार की ओर से किया जाएगा। कुछ पार्किंग भी डेवलप करने की योजना है। सिंहस्थ के दौरान सभी जमीन और बाकी इंफ्रा सरकार अधिगृहीत करेगी लेकिन बाकी समय भी इनका इस्तेमाल अन्य आयोजनों के लिए किया जा सकेगा।