16 करोड़ खर्च करने के बावजूद बढ़ गई कुत्तों की आबादी, अब लगभग 5 करोड़ और खर्च करेगा प्रशासन…
इंदौर। स्वच्छता के साथ ही अब इंदौर शहर को डॉग बाइट फ्री सिटी बनाने की कवायद की जा रही है। प्रशासन ने इसके लिए एक अभियान प्रारंभ किया है जिसके तहत अगले 6 माह में शहर के सभी आवारा कुत्तों की नसबंदी और टीकाकरण किए जाने की बात कही गई है। सरकारी अधिकारियों के अनुसार टीकाकरण और नसबंदी के लिए कुत्तों की सूची तैयार की जा रही है। प्रतिदिन 200 कुत्तों की नसबंदी का लक्ष्य तय किया गया है। हालांकि विडंबना यह है कि किसी भी सरकारी अधिकारी या स्वंय सेवी संस्था को यह नहीं पता है कि शहर में आवारा कुत्तों की संख्या कितनी है। प्रशासन हो या एनजीओ सभी एक अनुमान के आधार पर शहर में आवारा कुत्तों की संख्या 2.5 लाख के आसपास बता रहे हैं।
फंड की कमी नहीं…
निगम अधिकारियों के अनुसार आवारा कुत्तों की नसबंदी और टीकाकरण के लिए पहले फंड की कमी रहती थी। एक दिन में बमुश्किल 20 से 25 नसबंदी ही हो पाती थी लेकिन अब फंड की कमी नहीं है और एक दिन में 200 से ज्यादा नसबंदी की जा सकती है। शहर में 2 एजेंसियों द्वारा नसबंदी का काम किया जा रहा है। इन एजेंसियों को 925 रुपए प्रति नसबंदी की दर से भुगतान किया जाता है। लगभग 50 हजार कुत्तों की नसबंदी की जानी है तो इस हिसाब से 4 करोड़ 62 लाख 50 हजार रुपए खर्च किए जाएंगे।
साल 2014-15 से इंदौर में कुत्तों की नसबंदी का अभियान चल रहा है। लगभग 16 करोड़ रुपए खर्च कर इस अभियान के तहत अब तक दो लाख कुत्तों की नसबंदी की जा चुकी है और लगभग 50 हजार आवारा कुत्तों की नसबंदी शेष है। साल 2013 में मप्र हाई कोर्ट की इंदौर खंडपीठ में आवारा कुत्तों को लेकर एक जनहित याचिका प्रस्तुत की थी। इस जनहित याचिका में 2014 में नगर निगम ने बताया था कि शहर में आवारा कुत्तों की संख्या लगभग 60 हजार है। नगर निगम के अधिकारी डा. उत्तम यादव के मुताबिक वर्तमान में शहर में आवारा कुत्तों की संख्या दो लाख 50 हजार से ज्यादा है। जिसमें से दो लाख कुत्तों की नसबंदी की जा चुकी है। अब सवाल यह उठता है कि यदि साल 2014-15 से इंदौर में कुत्तों की नसबंदी की जा रही है तो फिर कुत्तों की संख्या में चार गुना बढ़ोतरी कैसे हो गई? इस संबंध में नगर निगम अधिकारी डॉक्टर उत्तम यादव का कहना है कि नसबंदी के बाद कुत्ते बच्चे पैदा कर ही नहीं सकते…नसबंदी फेल होने का सवाल ही नहीं उठता क्योंकि नसबंदी की प्रक्रिया में कुत्तों का पूरा आर्गन ही बाहर निकाल लिया जाता है। हालांकि नसबंदी के बाद भी आवारा कुत्तों की संख्या लगातार बढ़ रही है। इसका जवाब किसी के पास नहीं है।