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देवी अहिल्या अस्पताल में फर्जी डॉक्टर कर रहे थे कैंसर का इलाज

बिना किसी सुरक्षा मानक, अनुमति और योग्यता के दम पर कैंसर जैसी भयावह बीमारी का इलाज करके लोगों की जान से खिलवाड़ करने के मामले में कलेक्टर आशीष सिंह ने बड़ी कार्रवाई की। उन्होंने नेमावर रोड स्थित देवी अहिल्या हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर को न सिर्फ सील करने के आदेश दिए, बल्कि सीएमएचओ को संचालकों के खिलाफ केस दर्ज कराने और नगर निगम को भवन की वैधानिकता जांचने के आदेश दिए हैं। भर्ती मरीजों का इलाज या शिफ्टिंग सरकारी डॉक्टरों की निगरानी में होगा। खाली होते ही अस्पताल सील हो जाएगा।

7 मार्च, 2024 को यह आदेश कलेक्टर सिंह ने जारी किया है। आदेश में उन्होंने मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी (सीएमएचओ) से 1 मार्च, 2024 को मिले पत्र का हवाला दिया है। लिखा है 1, आनंदनगर स्थित देवी अहिल्या हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर की जांच जूनी इंदौर एसडीएम, अपर तहसीलदार, आईडीएसपी के नोडल अधिकारी, जोनल चिकित्सा अधिकारी संयोगितागंज, आयुर्वेद/होम्योपैथी चिकित्सा अधिकारी आयुष विभाग ने की। दल ने अस्पताल की आकस्मिक जांच की। मौका पंचनामा बनाया गया। बयान लिए गए। पता चला कि अस्पताल में जनमानस को गुमराह किया जा रहा है। जांच रिपोर्ट में म.प्र. उपचर्यागृह तथा रूजोपचार संबंधी स्थापनाएं (रजिस्ट्रीकरण तथा अनुज्ञापन अधिनियम 1973) नियम 1997 (यथा संशोधित 2021) एवं चिकित्सा शिक्षा संस्था (नियंत्रण) अधिनियम 1973 की धारा 7-ग का उल्लंघन करके अस्पताल का संचालन पाया गया। अस्पताल में मरीजों की जान को गंभीर संकट में डालकर सिर्फ नाम का इलाज किया जा रहा है। इस बात की पुष्टि समिति द्वारा अस्पताल से जब्त दस्तावेजों से भी होती है। इसे अस्पताल प्रबंधन की बदनियती या हिमाकत कहेंगे कि बिना किसी सक्षम स्वीकृति के कैंसर जैसी गंभीर बीमारी का इलाज गैर पेशेवर व्यक्ति द्वारा किया जा रहा है। प्राइवेट हॉस्पिटल के लिए जो सुरक्षा मानक तय हैं, उनका पालन भी नहीं है। न प्रमाण-पत्र है। हॉस्टिल के संचालक द्वारा चिकित्सा शिक्षा संस्था (नियंत्रण) अधिनियम 1973 की धारा 7-ग का उल्लंघन किया जा रहा है। अपने नाम के सम्मुख डॉक्टर शब्द का उपयोग कर आम जनमानस को गुमराह किया जा रहा है। कलेक्टर ने अपने आदेश में कहा कि नियम विरुद्ध अस्पताल का संचालन मिला है, इसीलिए अस्पताल के साथ ही संचालक पर भी कार्रवाई जरूरी है, इसीलिए तय किया जाता है कि हॉस्पिटल में भर्ती मरीजों के डिस्चार्ज होने या उन्हें किसी दूसरे अस्पताल में शिफ्ट होने तक उनकी मॉनिटरिंग आईडीएसपी के नोडल अधिकारी डॉ. अमित मालाकार करेंगे। सभी मरीजों के डिस्चार्ज या शिफ्ट होने पर तत्काल एसडीएम को सूचना देंगे। खाली होने के बाद एसडीएम अस्पताल को सील करेंगे। तब तक अस्पताल में कोई नया मरीज भर्ती नहीं होगा।

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