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उप राष्ट्रपति का दर्द : हम व्यापारियों के हाथ काट रहे…

उप राष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहा- आज हमारे देश में दीये, कैंडल, फर्नीचर, बाहर से आ रहा है। इसके दो दुष्परिणाम हैं। हमारा फॉरेन एक्सचेंज बड़ी मात्रा में बाहर जा रहा है। हम यहां के व्यापारियों के हाथ काट रहे हैं।
उन्होंने लोगों से अपील करते हुआ कहा- इसे करना सरकार के बस की बात नहीं है। क्योंकि सरकार विश्व के बंधन में है। वहां कई प्रकार के नीतियां चलती हैं। लोगों पर कोई बंधन नहीं हैं। लोगों को स्वदेशी का ज्यादा से ज्यादा उपयोग करना चाहिए। धनखड़ पंडित दीनदयाल उपाध्याय की 56वीं पुण्यतिथि पर रविवार को उनकी जन्मस्थली धानक्या में स्मृति व्याख्यान कार्यक्रम में बोल रहे थे।
धनखड़ ने कहा- एक समय था जब हमारी अर्थव्यवस्था 5 फ्रेजाइल (कमजोर) देशों में थी। हम दुनिया पर बोझ बने हुए थे। पिछले एक दशक में जो काम हुआ। उसकी वजह से हम आज विश्व की 5वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गए हैं। आज हमारा विदेशी एक्सपोर्ट 600 बिलियन से भी आगे हैं। उन्होंने कहा- मेरे मन में बड़ी पीड़ा होती है, जब मुझे पता लगता है कि 2009 में भारत सरकार ने 5 मिलियन यूएस डॉलर एक विदेशी यूनिवर्सिटी को दे दिए। हमारी यूनिवर्सिटी को क्यों नहीं दिए। एक बहुत बड़ा व्यापारिक समूह 50 मिलियन यूएस डॉलर देता है। मैं खासतौर से इस मंच से आग्रह करूंगा कि हमारे उद्योगपति, व्यापारी इस बात को सोचे कि यह समय राष्ट्रवाद को जागृत करने का हैं। राष्ट्रवाद सर्वोपरि है।
किसानों को भी संबोधित किया9 किसानों को संबोधित करते हुए कहा- भारत में पहली बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक ऐसा कदम बढ़ा उठाया है, जो कि किसान के लिए बहुत संतोष का विषय है। उन्होंने ईमानदारी के प्रतीक गरीब और गांव के हिमायती, कृषि के बारे में दूरदर्शी सोच रखने वाले चौधरी चरण सिंह को भारत रत्न देने की घोषणा की है।
उन्होंने कहा- चौधरी चरण सिंह सर्वमान्य नेता थे। चौधरी साहब किसी जाति और परिवार के नहीं। मैं उनके पोते की सराहना करता हूं, जिसने राज्यसभा में कहा मैं उनका पोता हूं, पर वह सबके हैं। मैं सबमें एक हूं। आप महापुरुषों को परिवार में नहीं समेट सकते हैं। धनखड़ ने कहा- इस बात को पहचानकर प्रधानमंत्री ने हर ग्रामीण, गरीब और किसान के दिल में स्थान प्राप्त किया है।
समारोह में सीएम भजनलाल शर्मा ने कहा कि पंडित जी के विचार मां भारती के लिए प्रेरणादायी हैं। उन्होंने राष्ट्रवाद की कल्पना की थी। आजादी के लिए अपने आप को न्यौछावर कर दिया था।

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