Ayodhya Ram Mandir: एशिया के सबसे बड़े मदरसे दारुल उलूम में उर्दू में अनुवादित वाल्मीकि रामायण और श्रीरामचरित मानस रखी हैं। पुस्तकालय प्रभारी मौलाना शफीक के अनुसार, ज्यादा पुरानी होने के कारण दोनों ग्रंथों के पन्ने बेहद कमजोर हो गए हैं। इन्हें रसायन लगाकर रखा गया है।
अयोध्पा में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के उल्लास के बीच यह जानना सुखद होगा कि एशिया के सबसे बड़े मदरसे दारुल उलूम के पुस्तकालय में उर्दू में लिखित वालंमीकि रामायण और श्रीरामचरित मानस संग्रहीत हैं।
श्रीरामचरित मानस का उर्दू अनुवाद 1921 में महर्षि स्वामी शिव बरत लाल बर्मन (एमए) ने किया था। 1321 पेज के इस अनुवाद को लाहौर के जेएस संत सिंह एंड संस ने प्रकाशित किया था।
महर्षि वाल्मीकि लिखित आदिकाव्य रामायण का 272 पेज में उर्दू अनुवाद 1949 में कीर्तन कलानिधि बानी भूषण नाटिया आचार्य महाकवि शिव नारायण तसकीन ने किया था। इसका प्रकाशन दिल्ली की गेलाराम एंड संस ने किया था। पुस्तकालय में इसका द्वितीय संस्करण उपलब्ध है।
रसायन लगाकर की जा रही सुरक्षा
पुस्तकालय प्रभारी मौलाना शफीक ने बताया कि अधिक पुरानी होने के कारण दोनों ग्रंथों के पन्ने बेहद कमजोर हो गए हैं। इनका रंग तक बदल चुका है। इन्हें रसायन लगाकर रखा गया है। दोनों ग्रंथों को शोकेस से बाहर निकालकर देखने के लिए संस्था के बड़े ओहदेदार की लिखित अनुमति लेना जरूरी है। इसके बिना इन्हें दूर से निहारा ही जा सकता है।