जबलपुर में 10 दिन पहले पकड़ाया बांग्लादेशी फर्जी डॉक्टर केंद्रीय जेल में है। वह 12वीं पास है। 14 साल पहले वह विजिट वीजा बांग्लादेश से भारत आया था। वीजा खत्म होने के बाद भी वह वापस नहीं गया। यहां गांव-गांव घूमकर इलाज करने लगा। लोग उसे डॉक्टर साहब कहकर बुलाते थे। उसके पास मिले आधार, पैन और वोटर आईडी पर कोलकाता का एड्रेस दर्ज है। पुलिस की चार सदस्यीय टीम एक-दो दिन में कोलकाता भी जाएगी। इसकी सूचना केंद्रीय एजेंसी को भी दी है। आखिर वह कब भारत आया, यहां क्या-क्या किया, जबलपुर कब आया, यहां कैसी छवि थी, पुलिस की जांच में अब तक क्या मिला?
27 दिसंबर को ग्वारीघाट थाना पुलिस ने पोलीपाथर से रपन विश्वास (35) को पासपोर्ट अधिनियम के तहत गिरफ्तार किया था। पूछताछ में पता चला कि वह बांग्लादेश का रहने वाला है। वह पिछले 14 साल से भारत में अवैध तरीके से रह रहा था। पुलिस ने पूछताछ के बाद 30 दिसंबर को कोर्ट में पेश किया, जहां से जेल भेज दिया गया। दरअसल, रपन के पिता और भाई 13 दिसंबर को उससे मिलने विजिट वीजा पर जबलपुर आए थे। उनका वीजा भी खत्म होने वाला है।
पोलीपाथर में रहने वाले लोगों का कहना है कि रपन हिंदी और बंगाली बोलता था। सोचा नहीं था कि वह बांग्लादेश का होगा। सतीश ने बताया कि उसे चार-पांच साल से देख रहे हैं। किसी को बुखार-खांसी होने पर उसे बुला लेते थे या फिर उसके पास चले जाते। कभी फीस के लिए दबाव नहीं बनाया। 10 रुपए- 20 रुपए जितना भी दे दो… रख लेता था। सतीश का कहना है कि एक बार दोस्त की ऊंगली टूट गई तो उसने सर्जरी कर दी। पता चला है कि रपन डॉक्टरी के साथ इलेक्ट्रिशियन है और मोबाइल भी सुधार देता था।