इंदौर में राजीव गांधी चौराहे से देवास नाका तक इफळर पर अब नई इलेक्ट्रिक बसें चलेंगी। यह रूट 11.5 किमी लंबा है। अभी यहां उठॠ और डीजल बसें ही चल रही हैं। जल्द ही सभी डीजल बसों को हटाकर इलेक्ट्रिक बसें शुरू कर दी जाएंगी। ये बसें साउथ के त्रिची से आएंगी। डेढ़ करोड़ रुपए कीमत की पहली ई-बस आ गई है। इसे जल्द ही इफळर पर उतारा जाएगा। बस की खासियत यह है कि गड्ढों और स्पीड ब्रेकर पर भी इसमें दचके नहीं लगेंगे। इसके सस्पेंशन वॉल्वो बस की तरह एयर सस्पेंशन के हैं। सीटें गद्देदार हैं। इफळर पर ऐसी कुल 30 ई-बसें चलाई जाएंगी। बाकी बसें जल्द इंदौर आ जाएंगी।
अभी इफळर पर 49 में से 29 बसें सीएनजी… बाकी डीजल वाली- इंदौर के इफळर पर अभी कुल 49 बसें चल रही हैं। इनमें 29 बसें सीएनजी हैं, बाकी डीजल हैं। डीजल की इन 20 बसों को इलेक्ट्रिक बस से बदल दिया जाएगा। इसके अलावा 10 नई बसें भी चलाई जाएंगी। इससे बस ओवरलोडिंग की समस्या कम होगी। एआईसीटीएसएल के अधिकारियों का कहना है कि डीजल बसों को रिप्लेस करने का मुख्य उद्देश्य इंदौर इफळर को ग्रीन कॉरिडोर बनाना है। नई बसें आने के बाद यहां चलने वाली बसों की कुल संख्या 49 से बढ़कर 59 हो जाएगी। अभी बस का राजीव गांधी डिपो के अंदर ही चार्जिंग, कैपेसिटी और कम्फर्ट सहित अन्य प्वॉइंट पर ट्रॉयल किया जा रहा है।
बस में नहीं लगेंगे झटके, स्वीच कंपनी ने बनाया है मॉडल- इंदौर में चलने वाली 1.5 करोड़ रुपए कीमत वाली बसों को हिंदुजा ग्रुप की स्विच मोबिलिटी कंपनी ने बनाया है। बस का नाम ए्रश्12 है। हिंदुजा ग्रुप की तरफ से बस के साथ इंदौर आए एडब्लयूएम बोनी सहाय ने बताया कि इस बस की खासियत यह है कि इसमें 36 सीटें हैं। खड़े होने वाले यात्रियों के लिए 24 हैंडल है। यात्रियों की सुविधा के लिए बस की सीटें गद्देदार बनाई गई हैं। बस में यात्रियों को दचके और झटके नहीं लगे… इसके लिए एयर सस्पेंशन का इस्तेमाल किया गया है, वहीं बस को फुल चार्ज होने में 1 से 3 घंटे का समय लगता है।
इंदौर प्रदेश का इकलौता शहर, जहां पर बीआरटीएस- इंदौर में 2013 में शुरू हुआ इफळर कॉरिडोर अब प्रदेश का इकलौता बीआरटीएस बन गया है, क्योंकि भोपाल में बना बीआरटीएस खत्म किया जा रहा है।