भोपाल, इंदौर, ग्वालियर व जबलपुर में आयुष्मान योजना के नाम पर अस्पतालों में चल रही धांधली अब बंद होगी। प्रदेश में जीरो टालरेंस पॉलिसी लागू की जा रही है। हर क्लेम का फिजिकल वेरिफिकेशन और थर्ड पार्टी आॅडिट होगा।
आयुष्मान में उन अस्पतालों का ही रजिस्ट्रेशन हो पाएगा, जिनके पास राष्ट्रीय प्रत्यायन बोर्ड (एनएबीएच) का सर्टिफिकेट होगा। अगर किसी अस्पताल द्वारा किया गया क्लेम गलत मिलता है तो उस पर पहली बार में तीन गुना, दूसरी बार में छह गुना और तीसरी बार में डि-लिस्ट करने की कार्रवाई की जाएगी।
अब तक प्रदेश के 25 लाख लोगों का हो चुका है आयुष्मान योजना के तहत इलाज
प्रदेश में 4.34 करोड़ आयुष्मान के लाभार्थी है, इनमें से 3.73 करोड़ लोगों के आयुष्मान कार्ड बन चुके है। वहीं अब तक 25 लाख लोगों को इस योजना के तहत इलाज मुहैया करवाया गया है। यानी इनके बिल एप्रूव कर अस्पतालों को क्लेम की राशि भी दे दी गई है। वर्तमान में प्रदेश में हर दिन 4000 मरीजों का इलाज आयुष्मान योजना के तहत हो रहा है।
चेहरे को स्कैन कर भी बनाया जा सकता है आयुष्मान कार्ड
मोबाइल अथवा टैबलेट पर उनके क्षेत्र के लाभार्थियों की सूची पहले से ही उपलब्ध रहेगी और आधार कार्ड और चेहरे को स्कैन करके लाभार्थी का सत्यापन कर उसका आयुष्मान कार्ड बना दिया जाएगा।
इसके लिए आशाओं के मोबाइल में पीएमजेएवाई मोबाइल एप्लीकेशन एवं फेस आॅथेंटिकेशन के लिए एप्लीकेशन डाउनलोड किए जा रहे हैं। नोडल अधिकारी डॉ. अभिषेक बालोटिया ने बताया कि इस विधि से कार्ड बनने पर फजीर्वाड़े की गुंजाइश नहीं रहेगी। आयुष्मान योजना के तहत इलाज करने वाले अस्पताल गलत क्लेम करते है तो इसकी आॅनलाइन साथ ही आॅफलाइन संबंध करवाया जा रहा है। इससे जीरो टालरेंस की तरफ हम बढ़ रहे हैं। अब तक गलत क्लेम करने वाले अस्पतालों से 18 करोड़ रुपए की पैनाल्टी हमने वसूली है।