इंदौर शहर की आन-बान-शान कहे जाने वाला ऐतिहासिक राजवाड़ा (जिसे देवी अहिल्याबाई होलकर के समय में महलवाड़ा भी कहा जाता था) शहर की सांस्कृतिक, राजनीतिक,सामाजिक एवं व्यावसायिक विरासत का केंद्र रहा है। गौरतलब है कि 80 के दशक में इंदौर म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन ने राजवाड़े के मुख्य द्वार से लगी दीवार के नीचे अंडरग्राउंड पब्लिक टॉयलेट्स बनवाए थे, जिसका उपयोग कुछ सालों तक चलता रहा और इसी कारण लंबे अरसे तक नमी रहने से बांकेबिहारी मंदिर के नजदीक के ऐतिहासिक राजवाड़े का हिस्सा झुक गया था। 80 के दशक के ऐतिहासिक राजवाड़े के चित्र में जहां बांके बिहारी मंदिर के नजदीक अंडरग्राउंड पब्लिक टॉयलेट दिखाई पड़ती है, वहीं इसके सीधे हाथ की तरफ ट्रैफिक चिह्नों का एक विशाल बोर्ड भी दिखाई देता है।
आईएमसी इंदौर, इंदौर स्मार्ट सिटी, इंदौर प्रशासन तथा शहर के वरिष्ठ राजनेताओं एवं बुद्धिजीवियों से निवेदन है कि बांकेबिहारी मंदिर के नजदीक राजवाड़े के सामने लगे डिजिटल बोर्ड को कहीं और शिफ्ट किया जाना चाहिए, जो कि ऐतिहासिक होलकरकालीन राजवाड़े की सुंदरता में बाधा डालता है। इंदौर शहर के नागरिक रोज सुबह देवी अहिल्याबाई होलकर की लगी प्रतिमा के दर्शन करने के बाद अपने दिन की शुरुआत करते हैं।
देवी अहिल्याबाई होलकर में श्रद्धा एवं आस्था तथा ऐतिहासिक राजवाड़े का सम्मान हर इंदौरी के दिल में है। राजवाड़े पर स्थित होलकर वंश के कुल देवता श्री मल्हारी मार्तंड मंदिर की सामने वाली पट्टी पर ऐतिहासिक राजवाड़े चौक पर स्थित शराब की दुकान को भी कहीं और शिफ्ट किया जाना बेहद जरूरी है। हाल ही में राजवाड़े को देखने आने वाले पर्यटकों की संख्या अत्यधिक वृद्धि हुई है, वहीं बड़ी संख्या में विदेशी पर्यटक भी इसे निहारने आते हैं, अत: हर इंदौरी का मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव से निवेदन है कि इस ओर वे ध्यान दें। आज तक हम तत्कालीन मुख्यमंत्री स्व. सुंदरलाल पटवा को इसलिए याद करते हैं और धन्यवाद देते हैं कि उन्होंने इंदौर शहर की ऐतिहासिक कृष्णपुरा छतरियों पर से अत्यधिक गंदगी एवं गुमटियों को हटवाकर सौंदर्यीकरण एवं विद्युत साज-सज्जा कर इंदौर की जनता को समर्पित किया था। पिछले कई वर्षों से लगातार हम शहर के इस ऐतिहासिक हिस्से पर हेरिटेज वॉक कर रहे हैं और इन हेरिटेज वॉक में सम्मिलित होने वाले शहर के जागरूक नागरिकों ने भी इस ओर ध्यान नहीं देने पर निराशा जताई थी।