सरकार ने जो सहायता राशि दी थी उससे मकान और शौचालय बना लिया। अब मैं फिर गरीबी की हालत में पहुंच गया हूं। सरकारी नौकरी देने का वादा भी पूरा नहीं हुआ। अब मैं किससे मदद मांगने जाऊं। अब मुझे कोई पूछ नहीं रहा है।
सीधी पेशाबकांड का पीड़ित दशमत रावत कुछ इस तरह से अपने मौजूदा हालात को बयां करता है। इसी साल जुलाई के महीने में हुए सीधी पेशाबकांड ने प्रदेश की सियासत में भूचाल ला दिया था। इस मामले पर इस कदर सियासत हुई कि प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने पीड़ित को सीएम हाउस बुलाकर उसके पैर धोए थे। सरकार ने पीड़ित दशमत को 5 लाख की आर्थिक सहायता और पक्का घर बनाने के लिए भी मदद की थी। साथ ही उसे सरकारी नौकरी, बच्चों को सेंट्रल स्कूल में पढ़ाने का भी भरोसा दिया था।
इधर, घटना के बाद कांग्रेस ने आदिवासियों के अत्याचार का मुद्दा उठाया था। इस मामले के आरोपी और भाजपा विधायक केदारनाथ शुक्ला के प्रतिनिधि प्रवेश शुक्ला के खिलाफ रासुका की कार्रवाई की गई थी। उसके घर का एक हिस्सा भी बुलडोजर से गिरा दिया गया था। इस मामले के बाद तत्कालीन भाजपा विधायक केदारनाथ शुक्ला का टिकट काट दिया।