रामलला के दिव्य मंदिर निर्माण के लिए धन समर्पण के साथ राम भक्त अपनी-अपनी भावना से कुछ न कुछ भेंट दे रहे हैं। इसी कड़ी में गुरुवार को रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के अनुष्ठान व मंदिर में अखंड ज्योति प्रज्ज्वलित करने के छह सौ किलो गाय का देसी घी दान किया गया।
खास ये है कि यह घी महर्षि संदीपनी राम धर्म गोशाला बनाड़ जोधपुर 108 कलशों में भरकर पांच बैलगाड़ियों में यहां लाया गया। जोधपुर से 27 नवंबर को निकली यह यात्रा दसवें दिन गुरुवार को कारसेवकपुरम पहुंची। इस संकल्पित घी के कलश को महर्षि संदीपनी महाराज ने श्रीरामजन्म भूमि तीर्थ क्षेत्र के महासचिव चंपत राय को भेंट किया। महाराज संदीपनी ने बताया कि शुरूआत में वह मटकी में घी एकत्रित कर रहे थे। गर्मी की वजह से घी पिघलकर बाहर आने लगा और मटकी में भी दरारें आने लगी। एकाध बार घी खराब भी हो गया। फिर पता चला कि पांच अलग-अलग जड़ी बूटियों के रस से घी को कई सालों तक सुरक्षित स्टोर किया जा सकता है तो वह हरिद्वार गए और वहां से ब्राह्मी व पान की पत्तियों समेत अन्य जड़ी-बूटियां लेकर आए। इनका रस तैयार कर घी में मिलाया। इसके बाद इस घी को स्टील की टंकियों में डालकर वातानुकूलित वातावरण में 16 डिग्री तापमान में रखा।
कंबोडिया से आई हल्दी व थाईलैंड की अयुत्थया से रज- जोधपुर से पहुंचे गौ घृत को प्राप्त करने के दौरान कार्यक्रम में मौजूद श्रीरामजन्म भूमि तीर्थ क्षेत्र के कोषाध्यक्ष महंत गोविंद देव गिरि ने बताया कि गुरुवार का दिन बहुत मंगल का दिन है जब हमें गौ घृत, मंगल कलश, कमल दल, सुवर्ण व गंज का दर्शन हुआ। यह सभी देवी सरस्वती के प्रतीक हैं। उन्होंने बताया कि वह वर्ल्ड हिन्दू कांग्रेस में हिस्सा लेने कंबोडिया गये थे। वहां उन्हें राम मंदिर के अनुष्ठान के लिए शुद्ध हल्दी भेंट में दी गई। थाईलैंड की राजधानी बैंकाक के राजा टेन राम ने वहां की मिट्टी भिजवाई। बताया कि अयोध्या की तरह ही थाइलैंड में भी एक अयोध्या है। वहां इसे अयुत्थया कहते हैँ।
वहां मौजूद उसी प्राचीन अयुत्थया की रज (मिट्टी) भेंट की है। इस दौरान तीर्थ क्षेत्र के न्यासी डा. अनिल मिश्र व मंदिर निर्माण प्रभारी गोपाल राव एवं विहिप केन्द्रीय मंत्री राजेन्द्र सिंह पंकज मौजूद रहे।