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पूर्व मुख्यमंत्री, प्रदेश अध्यक्ष आए हिमांशु और सुकृत के पक्ष में

जज के ड्राइवर से कार छीनकर वाइस चांसलर को अस्पताल पहुंचाने वाले छात्र जेल में हैं। इनमें से एक छात्र के पिता का कहना है कि बेटे में सेवाभाव की भावना है। सोचा नहीं था कि किसी की जान बचाने के लिए उठाए गए कदम पर डकैती का केस दर्ज हो जाएगा।
छात्र के पिता कमल शर्मा ने जज से हाथ जोड़कर निवेदन किया- मेरा बेटा हिमांशु आपके बच्चे जैसा है। उससे कोई गलती हो गई हो तो माफ कर दीजिए। दूसरे छात्र के पिता के ब्रेन की सर्जरी हुई है, इसलिए उनको मामले की जानकारी नहीं दी गई है। उधर, अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् के जिला महामंत्री हिमांशु और सुकृत के बचाव में पूर्व सीएम शिवराजसिंह चौहान ने मुख्य न्यायाधीश (जबलपुर हाईकोर्ट) को लेटर लिखकर कहा है कि मानवीय आधार पर सहयोग और जान बचाने के अभिप्राय से यह अपराध हुआ है। यह अपराध है, पर क्षमा योग्य भी है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा है कि हम छात्रों की पूरी मदद करेंगे। अपराध के मामले में कहा है कि पुलिस जल्दबाजी न करे। गंभीर धाराएं तुरंत लगाने से बचने की जरूरत है। भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष ने भी छात्रों के प्रति नरम व्यवहार रखने की बात कही है।
पिता बोले- दिल्ली जाने से पहले दो मिनट के लिए मिले थे- कमल शर्मा ने बताया- बेटा हिमांशु शर्मा फरर का सेवक है। इस वजह से घर में बहुत कम रह पाता है। पिछले डेढ़ साल से वह अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् का सदस्य रहा है। पहले वह प्रांतीय सहमंत्री था, पर अभी कुछ दिन पहले ही उसे जिला महामंत्री की जिम्मेदारी मिली। घटना से दो दिन पहले दिल्ली अइश्ढ के राष्ट्रीय अधिवेशन में निकलने से पहले वह घर पर सिर्फ अपने कपड़े लेने आया था। घर पर दो मिनट के लिए रुका होगा, तभी उसका चेहरा देखा था, इसके बाद से उसे नहीं देखा है।
हिमांशु इअ करने के बाद छछइ फाइनल ईयर का छात्र है। उसके पिता कमल बताते हैं कि हिमांशु बचपन से ही पढ़ाई में मेधावी रहा है। हाईस्कूल में सभी सब्जेक्ट में टॉप किया था। इंटर में भी वह अपनी क्लास में प्रथम था। हमारा सपना उसे सफल वकील बनते देखना है और वह भी लॉ की पढ़ाई कर कुछ करना चाहता है।
सुकृत के पिता की ब्रेन सर्जरी हुई, उन्हें नहीं बताया- दूसरा छात्र सुकृत कुमार शिवपुरी के फिजिकल कॉलेज के पीछे रहता है। उसके पिता की ब्रेन सर्जरी हुई है। वे बीमार हैं, इसीलिए उन्हें अभी ज्यादा कुछ नहीं बताया गया है।

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