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झोपड़ी में रहने वाले कमलेश्वर के विधायक बनने की कहानी:मुकाम तक पहुंचने के लिए किया काफी संघर्ष …ओबामा से हुए प्रेरित

मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव के नतीजे का दिन। सैलाना सीट पर पहले राउंड में वोट की गिनती के बाद भारत आदिवासी पार्टी (इअढ) के प्रत्याशी कमलेश्वर डोडियार, बीजेपी और कांग्रेस प्रत्याशियों से आगे थे। दूसरे राउंड से लेकर चौथे राउंड तक कमलेश्वर, कांग्रेस और बीजेपी प्रत्याशियों से पीछे हो गए। 5वें राउंड से फिर तस्वीर बदली। डोडियार ने बढ़त बनाई। बीजेपी प्रत्याशी संगीता चारेल काफी पीछे रह गईं। कांग्रेस के हर्ष विजय गेहलोत और भारत आदिवासी पार्टी के डोडियार के बीच आखिर तक मुकाबला हुआ। नतीजा आया तो कमलेश्वर डोडियार ने इतिहास बना दिया। 4 हजार 618 वोट से जीतकर वे विधायक बन गए।
2023 में एमपी की राजनीति में यह बड़ा टर्निंग प्वॉइंट था, क्योंकि तीसरी ताकत के तौर पर अब तक अपनी मौजूदगी दर्ज कराते रहे बसपा, सपा जीत को तरस गए और जय युवा आदिवासी संगठन (खअर) ने अपनी मौजूदगी दर्ज करा दी। जयस के नेता अलग-अलग दलों से चुनावी मैदान में उतरे थे। उसमें कमलेश्वर ने इअढ के टिकट पर चुनाव लड़ा।
जयस के दूसरे गुट के नेता हीरा अलावा और मोंटू सोलंकी ने कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ा। तीनों चुनाव जीते, मगर हीरा अलावा और मोंटू सोलंकी से ज्यादा चर्चा कमलेश्वर की रही। क्योंकि उनके प्रचार में न तो कोई बड़ा नेता आया न ही बैनर-पोस्टर लगे। कमलेश्वर ने चुनाव का खर्च भी चंदे से जुटाया था। इस मुकाम तक पहुंचने के लिए कमलेश्वर ने काफी संघर्ष भी किया। उन पर 16 मुकदमे अभी भी दर्ज है।
कुछ करने की थी धुन… – कमलेश्वर में मन में राजनीति में कुछ करने की धुन तो सवार हो गई थी, लेकिन परिवार की भी जिम्मेदारी थी। माता-पिता दोनों मजदूर थे। घर में छह भाई, तीन बहनें। परिवार के पास सवा बीघा जमीन। जो आजीविका के लिए बेहद नाकाफी थी। बाकी आदिवासियों की तरह पूरा परिवार राजस्थान-गुजरात मजदूरी करने जाता था।

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