360 करोड़ रु. में बना, लेकिन प्लानिंग बेतरतीब; फ्लाईओवर-मेट्रो के बाद यह बेकार
हिन्दुस्तान मेल, भोपाल
भोपाल में 24किमी लंबे इफळर कॉरिडोर को हटाने पर आखिरकार सहमति बन गई है। 13 साल पहले इसे बनाने में 360 करोड़ रुपए खर्च हुए थे, जबकि मेंटेनेंस पर हर साल लाखों रुपए खर्च होते रहे, फिर भी कॉरिडोर पर हादसे कम नहीं हुए। यही वजह है कि कई मौकों पर मंत्री से लेकर विधायक तक इसे हटाने को लेकर पैरवी करते रहे। मंगलवार को मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की मौजूदगी में जब कॉरिडोर पर चर्चा शुरू हुई तो दो मंत्री, दो विधायक और महापौर ने हटाने की बात कह दी। कॉरिडोर हटाए जाने के निर्णय से वे सभी ज्यादा खुश हैं, जो हर रोज बैरागढ़ और होशंगाबाद रोड पर जाम में फंसते रहे हैं। साल 2009-10 में मिसरोद से बैरागढ़ तक लगभग 24 किमी लंबा बीआरटीएस कॉरिडोर बनाया गया था। तब इस पर 360 करोड़ रुपए खर्च हुए थे। बीसीएलएल (भोपाल सिटी लिंक लिमिटेड) और नगर निगम ने 13 साल में कॉरिडोर के रखरखाव पर लाखों रुपए खर्च किए। बावजूद कॉरिडोर से गुजरने वाले लाखों लोगों के लिए यह मुसीबत बना रहा।
कॉरिडोर से कॉलोनियों
को जोड़ा नहीं
इंस्टीट्यूट आॅफ टाउन प्लानर्स आॅफ इंडिया (आईटीपीआई) के जनरल सेक्रेटरी वीपी कुलश्रेष्ठ का कहना है कि भोपाल में बीआरटीएस बना ही गलत। शहर की सबसे मुख्य सड़क पर बीआरटीएस बना दिया गया, लेकिन इसे आसपास की कॉलोनियों से नहीं जोड़ा गया। यानी लास्ट माइल कनेक्टिविटी नहीं दी गई। शहर की सबसे प्रमुख सड़क होने के कारण स्वाभाविक रूप से फ्लाईओवर भी वहीं आए और डेडिकेटेड कॉरिडोर को हटाने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा। अब मेट्रो भी आ रही है, ऐसे में बीआरटीएस को हटा देना ही ठीक है। बता दें, इंस्टीट्यूट आॅफ टाउन प्लानर्स आॅफ इंडिया (आईटीपीआई) देशभर के टाउन प्लानर्स का संगठन है। बीआरटीएस कॉरिडोर को हटाने के लिए मंगलवार को सहमति बन गई। मंत्री और विधायकों ने इसे हटाने को कहा है।