ंडवा के आदिवासी बहुल खालवा के खुर्द गांव में एक फिल्मी कहानी जैसा मामला सामने आया है। यहां 28 साल पहले लापता हुआ दीनू नाम का युवक लौटा तो 15 साल से नकली दीनू बनकर रह रहे बाबा की पोल खुल गई। जब बाबा से पूछा तो उसने कहा कि मैं परिवार का दिल नहीं तोड़ना चाहता था, इसलिए बता नहीं पाया। 1995 में कालाआम खुर्द गांव में रहने वाला दिनेश लोवंशी दीनू 16 साल की आयु में काम के सिलसिले में घर से निकला था, जो अब 44 साल का हो गया है। इसके बाद वह घर नहीं लौटा। छोटे भाई विनोद ने बताया कि 15 साल बाद गांव में एक बाबा पहुंचा। मेरे भाई दिनेश जैसी ही उसकी शक्ल थी। उसने कहा कि मैं तुम्हारा खोया हुआ भाई हूं। दादा-पिता का नाम तक उसने बताया। उसके हाथों में दीनू नाम गुदा हुआ था। मुझे लगा यही दिनेश है। उसने यह भी बताया कि मैं संत बन गया। हरिद्वार में एक अखाड़े से जुड़ गया, जिसमें मेरा नाम कल्याणगिरि महाराज रखा गया। खोए हुए भाई को पहुंचा हुआ संत समझ लिया।
असली दिनेश लोवंशी का कहना है कि मैं मुंबई में केटरिंग का काम करने लगा था। वहां बिहार और यूपी के 3-4 साथियों के साथ काम कर एक कमरे में ही उनके साथ रहता था। मैं इस बीच तीन बार अपने घर आने के लिए आशापुर तक पहुंचा, पर पता नहीं क्या हुआ दिमाग काम नहीं किया। ऐसा लगा जैसे मुझ पर किसी ने तांत्रिक क्रिया की है, जो मुझे घर नहीं आने दे रही थी।