हिन्दुस्तान मेल, भोपाल
नई विधानसभा के गठन के बाद शपथ लेने वाले विधायकों को फंड की कमी से जूझना पड़ेगा। इसकी वजह यह है कि चुनाव के पहले विधायकों को मिलने वाली निधि का बड़ा हिस्सा खर्च कर दिया गया है। विधायक निधि के 427.04 करोड़ रुपए और स्वेच्छानुदान निधि के 171.08 करोड़ रुपए आचार संहिता लागू होने के पहले खर्च हो चुके हैं। ऐसी स्थिति में शेष राशि में से एक विधायक को औसतन 65.41 लाख रुपए विकास कार्य कराने और 61629 रुपए व्यक्तिगत मदद के लिए स्वेच्छानुदान मद से देने के लिए मिलेंगे। इस बीच खर्च की गई राशि की पड़ताल में यह बात भी सामने आई है कि कई जिलों में विधायकों ने विधायक निधि और विधायक स्वेच्छानुदान निधि की पूरी राशि ही खर्च कर दी है।
कई जिलों में खत्म हो गई राशि
सिवनी जिले के चारों विधायकों ने विधायक स्वेच्छानुदान के रूप में मिलने वाले 75-75 लाख रुपए पूरी तरह से खर्च कर दिए हैं। यानी यहां नए विधायकों के लिए अब स्वेच्छानुदान के लिए एक भी रुपया शेष है। वहीं विधायक निधि की राशि में केवलारी विधानसभा में 20 लाख और बरघाट में 14 लाख रुपए बचे हैं। सिवनी से भाजपा के दिनेश राय मुनमुन, लखनादौन से कांग्रेस के योगेंद्र सिंह बाबा, केवलारी से बीजेपी के राकेश पाल सिंह और बरघाट से कांग्रेस के अर्जुन काकोड़िया विधायक हैं। ऐसी ही स्थिति प्रदेश के अन्य जिलों में भी है। चित्रकूट, मैहर, नागौद, सतना, रामपुर बघेलान, अमरपाटन, रैगांव विधानसभा के विधायकों ने पूरी राशि आचार संहिता लागू होने के पहले खर्च कर दी है। अफसरों के मुताबिक 9 अक्टूबर को लागू हुई आचार संहिता की अवधि तक विधायकों के विधायक निधि और स्वेच्छानुदान की मंजूरी के जो आंकड़े सामने आए हैं, उसके अनुसार विधायक निधि के 150.45 करोड़ रुपए शेष बचे हैं और अगर वर्तमान विधायक ने राशि छोड़ी है तो एक विधायक को औसतन 65.41 लाख रुपए मिलेंगे। इसी तरह स्वेच्छानुदान निधि में 1.41 करोड़ रुपए बचे हैं और एक विधायक के पास स्वेच्छानुदान के लिए 31 मार्च 2024 तक की अवधि में औसतन 61629 रुपए ही बचेंगे।