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आईटी हब बनना कहीं सपना न रह जाए…दूसरी जगह जा रहा काम

हिन्दुस्तान मेल, इंदौर
आईटी हब बनने की ओर बढ़ रहे इंदौर की आईटी कंपनियों के सामने नई चुनौती खड़ी हो गई है। स्थानीय कंपनियों को यूके, यूएस, फ्रांस, जर्मनी और आॅस्ट्रेलिया आदि से मिलने वाला करीब 25 फीसदी काम फिलिपींस और आसपास के देशों में शिफ्ट होने लगा है।
बीपीओ (बिजनेस प्रोसेस आउटसोर्सिंग) के अलावा सॉफ्ट वेयर और प्रोग्रामिंग के काम भी कंपनियां वहां भेजने लगी हैं। इसकी बड़ी वजह इंदौर की तुलना में वहां कॉस्ट आॅफ लिविंग और सैलरी कम होना है। आईटी एक्सपर्ट की मानें तो इंदौर की तुलना में फिलिपींस, वियतनाम, मलेशिया व इंडोनेशिया में सैलरी पैकेज 35 से 40 फीसदी तक कम हैं, इसलिए कंपनियां वहां से काम करा रही हैं।
तीन गुना तक बढ़ी इंदौर में सैलेरी
आईटी एक्सपर्ट अभिजीत व्यास ने बताया- कोरोना के बाद आईटी सेक्टर में काम बढ़ने के साथ सैलेरी पैकेज 3 गुना तक बढ़ गए हैं। उस समय स्किल्ड मैन पॉवर को मुंह मांगे पैकेज दिए। 6 साल का अनुभव रखने वालों का 10 लाख सालाना का औसत पैकेज 30 से 35 लाख तक पहुंच गया। इससे यहां प्रोजेक्ट देने पर कंपनियों को अधिक पैसा चुकाना पड़ रहा है।
अरविंद मिश्रा बताते हैं, यूके-यूएस की कंपनियां इंदौर के बजाए फिलिपींस में बीपीओ (कॉल सेंटर) शुरू कर रही हैं। फिलिपींस की इन्फ्रास्ट्रक्चर, कॉस्ट आॅफ लिविंग और सैलेरी इंदौर की तुलना में 35 से 40 फीसदी कम है। अंग्रेजी भी बेहतर है। टाइम जोन में भी चार-पांच घंटे का ही अंतर है।
8 हजार करोड़ टर्न ओवर
50 हजार जॉब
इन्वेस्ट इंदौर के सचिव सावन लड्ढा ने बताया- इंदौर में आईटी, स्टार्टअप, बीपीओ सहित आईटीईएस मिलाकर 500 से अधिक कंपनियां हैं। सालाना का करीब 8 हजार करोड़ का कारोबार है। 1500 करोड़ से अधिक का तो एक्सपोर्ट भी है। सस्ता मैन पॉवर होने के कारण यूके-यूएस का काफी काम यहां से जाने लगा है।
छोटे देश भी कर रहे फोकस
यूके-यूएस की कंपनियों का काम फिलिपींस, वियतनाम में कराने वाले विनीत करंदीकर का कहना है- एक समय था, जब यूके-यूएस का 80 फीसदी काम भारत में आता था, लेकिन अब छोटे देश भी आईटी सेक्टर पर फोकस कर रहे हैं। सस्ता स्किल्ड मैन पॉवर तैयार होने से भी काम फिलीपींस, वियतनाम, इंडोनेशिया और थाइलैंड जैसे देशों में जा रहा है।

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