हिन्दुस्तान मेल, उज्जैन। आज महाकाल महालोक में आनंद की वर्षा हो रही है। द्वितीय चरण का लोकार्पण हो रहा है। सृजन और संहार जिनके डमरू में, समय जिनकी जटाओं में बंधा है। ऐसे महाकाल महाराज के चरणों में, मैं शीश झुकाता हूं। धरती जिनके त्रिशूल पर टिकी है जिन्होंने काल को अपने कपाल पर धारण किया है, ऐसे बाबा महाकाल के चरणों में मेरा प्रणाम! जो दो नैनों से हमारा विश्वास बनाए रखते हैं और तीसरे नेत्र से संपूर्ण संसार बनाए रखते हैं। ऐसे बाबा महाकाल के चरणों में शीश झुकाता हूं।